Deshnok Karni Mata Mandir In Hindi करनी माता मंदिर (Deshnok Temple) राजस्थान के बीकानेर जिले में(Deshnok Karni Mata Mandir) स्थित है।करणी माता का मन्दिर एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है इसमें देवी करणी माता की मूर्ति स्थापित है। यह (Deshnok Karni Mata Mandir) बीकानेर से 30 किलोमीटर दक्षिण दिशा में देशनोक (Deshnok Temple) में स्थित है।
करनी माता का मन्दिर चूहों के लिए विश्व भर में काफी लोकप्रिय है, मंदिर में चूहों की संख्या लगभग 20000 के पास है, मंदिर में कभी कभी सफ़ेद चूहे की झलक भी देखने को मिलाती है, और माना जाता है की सफ़ेद चूहों को देखना बहुत ही शुभ होता है, मंदिर में चूहों के प्रसाद के लिए यहां रखी चांदी की बड़ी परात भी देखने लायक है। जो दूध से भरी रहती है,
माता के श्रद्धालुओं का मत है कि करणी देवी साक्षात मां जगदम्बा की अवतार थीं। अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहां एक गुफा में रहकर मां अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। मां के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। बताते हैं कि मां करणी के आशीर्वाद से ही बीकानेर और जोधपुर राज्य की स्थापना हुई थी।
करणी माता का इतिहास history of karni mata Mandir in hindi
करणी माता का जन्म 1387 में मारवाड़ ( जोधपुर ) के सुवाप गाँव में मेहाजी चारण के घर हुआ था, वो मेहाजी की छट्ठी संतान थी| चारण चरवाहे थे और वो कवी व् रंग मंच पर कलाकार भी काम करते थे, करनी माता का बचपन का नाम रिद्धा बाई था, करनी माता का बचपन ज्यादा समय पूजा वर्त और भगवान की आराधना में ही बितता था, और करणी माता (रिद्धा बाई ) बचपन में अपनी बुआ के ज्यादा नजदीक थी,
एक रिद्धा बाई ने अपनी बुआ की टूटी हुई (टेढ़ी) अंगुली को ठीक कर दिया, यह एक चमत्कार से कम नहीं था, बुआ ने रिद्धा बाई का नाम करणी रख दिया, रिद्धा बाई बड़ी हुई, तो मेहाजी ने उनका देपोजी चारण से लगन कर दिया, लेकिन करणी ने विवाह के लिए साफ मना कर दिया के उन्हें शादी में कोई रूचि नहीं थी| वह तो भगवान् की भक्ति लींन रहती थी, और तपस्विनी जीवन जीने लगी, समय बिताता गया और कुछ साल बाद मारवाड़ में भयंकर अकाल पड़ा, वहा जीना दूसवार होने लगा था,
चारणों के पशु बिना चारे और पानी के मरने लगे देपोजी और करणी जी ने अपने मेवसियो जान बचाने के लिए जांगलू प्रदेश में बसने की योजना बनाई,जांगलू वही जगह है जहा आज वर्तमान में देशनोक करणी माता का मंदिर है| देपोजी अपने परिवार के साथ मवेशियों को लेकर जांगलू पहुंचे, राव कानजी ने उन्हें वहां से जाने का आदेश दिया क्यूंकि वो जगह उनके राज्य में आती थी|
Deshnok Karni Mata Mandir In Hindi ! देशनोक करनी माता मंदिर
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deshnok karni mata mandir in hindi देशनोक करनी माता मंदिर
कानजी गुस्से में उनका सामान बैलगाड़ी से उतारने आगे बढ़ा लेकिन करणी जी ने जमीन पर एक लकीर खींच दी और कानजी को आगाह किया के अगर वो इस लकीर को पार करेगा तो मारा जाएगा| कानजी ने इस बात कीपरवाह ना करते हुए लकीर पार की और वहीँ मारा गया, इस घटना के बाद करणी जी को सब करणी माता मानने लगे और वो जांगलू में ही जीवन यापन करने लगी!
कानजी की मोत के बाद राव रणमल को गद्दी पर बैठाया गया, जब राव रणमल मेवाड़ में मारे गये तब उनके पुत्र जोधा को करणी माता ने आश्रय दिया और एक नयी सेना बनाने में मदद की| बाद में उसी राव जोधा ने जोधपुर की स्थापना की और उनके मन में माता के लिए बहुत श्रद्धा थी, जोधपुर किले की नींव रखते समय उन्होंने माता को भी बुलाया था|
राव जोधा के बेटे राव बीका जब गद्दी न मिलने पर कुछ सैनिको के साथ नया प्रदेश बनाने जब जांगलू आये तब वो भी करणी माता के पास पहुंचे, माता ने उनको आशीर्वाद दिया और आसपास के छोटे छोटे गाँवों पर कब्ज़ा करने की सलाह दी जहाँ के मुखिया जाट थे| उन्होंने माता की सलाह पर आसपास छोटे गाँवों को अपने कब्जे में लेकर बीकानेर की नींव रख दी, इन बातो से साबित होता है की क्यूँ करणी माता के प्रति जोधपुर और बीकानेर दरबार में इतनी श्रद्धा थी|
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Deshnok Karni Mata Mandir information in hindi
देशनोक करणी माता बंदिर की जानकारी Deshnok Karni Mata Mandir information in hindi
संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। मंदिर के मुख्य दरवाजा पार कर मंदिर के अंदर कदम रखते ही चूहों की धमाचौकड़ी करते देख आँखे खुली की खुली रह जाती है। मंदिर में चूहे झुण्ड के साथ चहल कदमी करते हुए मिलते है , और चांदी की परात ( चांदी के बहुत बड़ा पतीला ) में दुद्ध पीते देखने को मिलते है,
मंदिर के मुख्य परिसर में आप पैर उठा के नहीं चल सकते , बल्कि जमीन पर घसीटते हुए कदम आगे बढाना होता है। लोग इसी तरह कदमों को घसीटते हुए करणी मां की मूर्ति के सामने पहुंचते हैं। चूहे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है।
इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विश्व विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहां सफेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है।
करणी माता मंदिर देशनोक की कथा Story of Karni Mata Mandir Deshnok hindi
करनी माता का मंदिर जिस जगह बना है जहा माता ने प्राण त्यागे थे, जांगलू क्षेत्र के देशनोक में जब करणी माता रहती थी तो उनके साथ देपोजी, उनकी पत्नी और देपोजी की 4 संतान भी रहती थी| करणी मां की कथा एक सामान्य ग्रामीण कन्या की कथा है, माता के साथ चारो पूजा अर्चना करते थे अत: माता को उनसे बहुत लगाव था, एक दिन देशनोक के पास स्थित कोलायत सागर में डूबकर उनमे से सबसे छोटे लक्ष्मण की म्रत्यु हो गई|
माता इस बात से टूट गई और यमराज का आव्हान किया और उनसे लक्ष्मण को न ले जाने की प्रार्थना की, यमराज ने करणी माता के ना मानने पर लक्ष्मण को सफ़ेद मूषक रूप में पुर्नजीवित कर दिया साथ में वरदान दिया के उनके बाकी दत्तक पुत्र भी म्रत्यु पश्चात मूषक के रूप में पुनर्जीवन लेंगे| इसलिए ये मान्यता है की जो भी मूषक मंदिर में है वो सब चारण वंश के लोग है जो म्रत्यु के बाद मूषक बन जाते है,
और मंदिर के पुजारी इन्हें काबा कहते है अगर आप चूहा कहेंगे उनके आगे तो शायद पुजारियों का गुस्सा झेलना पड़ जाए | मान्यताओं के अनुसार माता कुल 151 साल जिन्दा रही और जिस जगह प्राण त्यागे वाही आज करणी माता मंदिर देशनोक है|
कैसे पहुंचे देशनोक करणी माता मंदिरHow to reach Deshnok karni mata Mandir
बीकानेर से देशनोक करणी माता मंदिर की दुरी लगभग 40 किलोमीटर है, देशनोक करणी माता आने जाने की सड़क जोधपुर बिकानेर हनुमान से जुडा हुआ है, देशनोक करणी माता मुख्य सड़क से थोडा अंदर मंदिर है सरकारी और निजी बस हर 20 मिनट में बीकानेर से देशनोक आती रहती है. रेल- देशनोक में रेलवे स्टेशन है जहाँ कुछ बीकानेर आने जाने वाली हर गाडी रूकती है , इसलिए रेलमार्ग सबसे अच्छा विकल्प है
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