Mahakaleshwar Jyotirlinga Mandir – उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित है। महाकालेश्वर उज्जैन का दर्शनीय स्थल है। महाकालेश्वर उज्जैन दर्शन का समय सुबह 3 बजे से रात 11 बजे तक है। भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर मंदिर प्रमुख है। ये भारत का विशाल तीर्थस्थलो में से एक है। इसलिए यहाँ साल भर तीर्थ यात्री आते रहते है। पर्यटक दृष्टि से भी ये उपयोगी स्थान है। ये भारत का प्राचीन और पौराणिक मंदिर होने के कारण पुरे विश्व में प्रसिद है।
यहाँ देश विदेश से लाखो पर्यटक घुमने आते है। महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है। महाकालेश्वर भगवान की ये प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी। इसलिए श्रद्धालुओ को इसके प्रति बहुत आस्था माना जाती है। ये इस क्षेत्र का प्रमुख धार्मिक स्थल है।यहाँ महाकालेश्वर भगवान का बहुत ही सुन्दर मंदिर है।
Mahakaleshwar Jyotirlinga Mandir का महत्त्व,इतिहास,कहानी
हिन्दुओ के धार्मिक ग्रंथो, पुराणों और महाभारत में इस मंदिर की सरचना और महत्व का बहुत सुन्दर वर्णन किया गया है। भारत के महान कवि कालिदास ने भी अपनी रचनाओं व पक्तियों के माध्यम से इसका बहुत ही अद्धभुत वर्णन किया है। ये महाकालेश्वर मंदिर अत्यन्त पुण्यदायी माना जाता है। क्योकि इसमें भगवान महादेव के भव्य और दक्षिणमुख के रूप देखा जा सकता ह।
शिव के इस अवतार के दर्शन कर लोग बहुत अच्छा महसूस करते है। इल्तुत्मिश के द्वारा 1235 ई. का इस पौराणिक मंदिर का विध्वंस कर दिया गया। तब से लेकर आज तक भारत में जितने भी शासक हुए है। सब ने इस मंदिर की देखरेख का विशेष ध्यान रखा है। और इसलिए इस मंदिर की सुन्दरता वर्तमान में भी वैसे ही बरकरार है ।
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Mahakaleshwar Jyotirlinga Mandir का इतिहास
महाकाल का महाकालेश्वर ज्योतिलिंग मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसके इतिहास इसके समय काल का पता लगाया जा सकता है। उज्जैन में उस समय यवनों का सासन काल था । उज्जैन पर इनका सासन सन् 1107 से 1724 ईस्वी. तक रहा था । इनके शासनकाल में 4500 वर्षो से चले आ रहे हिन्दू धर्म का पतन देखा गया है। हिन्दुओं की धार्मिक परंपराएं प्राचीन धारणाये समाप्त होने लगी थी। कुछ समय पश्चात 1725 ईस्वी में मराठों ने मालवा क्षेत्र में आक्रमण कर दिया।
मराठो ने इस आक्रमण में जीत हासिल की। और उसके बाद मराठो ने 20 नवंबर 1728 को मालवा क्षेत्र में अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। ये क्षेत्र पूरी तरह से अब माराठो के अधिकार में आ गया था। मराठो द्वारा उज्जैन की पुन्य रचना की गई ।उज्जैन ने अपने खोये हुए गौरव को वापस पाया था। मराठो के सासन काल में सन 1731से 1809 तक यह नगरी मालवा की राजधानी बनी रही। मराठों के द्वारा हिन्दू धर्म का पुन्य निर्माण हुआ। मराठो के शासनकाल में मराठो द्वारा दो विशेष कार्य किये गया ।
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इन्होने महाकालेश्वर मंदिर का पुनिर्नर्माण करवाया गया। और दूसरा ज्योतिर्लिंग की सरचनाओं में सुधार किया गया। मराठो ने सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना की और तब से लेकर आज तक ये व्यवस्था चली आ रही है। जिसका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। समय समय पर यहाँ हुए राजाओ ने भी इस स्थान पर आवश्यक गतिविधिया की गई है। राजा भोज के द्वारा भी इस मंदिर के विस्तार कार्यो में अपना योगदान दिया गया है।
Mahakaleshwar Jyotirlinga Mandir के दर्शन
महाकालेश्वर मंदिर विशाल प्राचीन परकोटे के अन्दर स्थित है। ये उज्जैन का बहुत ही सुंदर कलाकृति वाला मंदिर है। ये मंदिर परकोटे के गर्भगृह में बना हुआ। इसमें गर्भगृह तक जाने के लिए एक सीढ़ीदार रास्ता बना हुआ है। इसकी आकृति बहुत निर्पुन ढंग से बनाई गई है। इसके अलग अलग हिस्सों में भगवान शिव के भिन्न भिन्न रूपों में दर्शाया गया है। इसके ठीक उपर एक दूसरा कक्ष है जिसमें ओंकारेश्वर शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का क्षेत्रफल लगभग 150 वर्गमीटर और ऊंचाई 29 मीटर है।
महाशिवरात्रि एवं श्रावण मास में सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर में भक्तो का ताँता लग जाता है । इस मंदिर की एक मान्यता ये भी की यवनों का सासन में इस मंदिर को तुडवा कर, इस मंदिर की शिवलिंग को कोटितीर्थ में रखवा दिया था । बाद में शिवलिंग को पुन स्तापित कर दिया था । सन 1968 में महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य प्रवेस द्वार निर्माण स्थापित किया गया । और एक विसाल सभा माडल भी बनवाया गया । श्रधालुओ को परस्थान के एक निकासी द्वार का भी निर्माण करवाया गया । महाकालेश्वर मदिर आज विश्व प्रसिद तीर्थ स्थल के साथ एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल भी है । यहाँ दूर सुर से भक्त अपनी मनोकामनाए लेकर आते है ।
Mahakaleshwar Jyotirlinga Mandir का रहस्य व् कथा
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार अवंती नगर अर्थात उज्जेन में वेद्प्रिय नाम के ब्राम्हण रहते थे। व् पका शिव भक्त थे । वे अपने घर में शिवलिंग को स्थापित कर के प्रतिदिन पूजा किया करते थे । और भगवांन की भक्ति में मगन रहते थे । शिव भक्त वेदप्रिय के देवप्रिय, प्रियमेध, संस्कृत और सुव्रत चार पुत्र थे । ये चारो भाई आज्ञा करी थे। अपने माता का बहुत मान समान करते थे । उस टाइम में गाँव के बहार रतनमाल पर्वत था ।
उस पर्वत पर दूषण नाम का राक्षस रहता था । उसे भगवान् विष्णु से अजय रहने का वरदान प्राप्त था । इस कारन दूषण सभी पर्वत वासियों पर अत्यचार करता था । जब पर्वत पर कोई बचा तो दूषण अपनी राक्षसों की सेना ले कर गाँव उज्जेन गया ।और उज्जेन वासियों को परेशांन करने लगा । राक्षस दूषण की राक्षस सेना उज्जेन में अत्यचार करना और गाँव वासियों को मरना शुरू कर दिया । इस वक्त उज्जेन में हाहाकर मच गया । तब वेद्प्रिय के चारो पुत्र भगवान् शिव की आरधना करने लगे ।
Ujjain Mahakaleshwar Jyotirlinga Mandir
गाँव वाले दूषण के कहर से बचने के लिए इधर उधर भाग रहे थे । मगर चारो भाई बिना भयभीत होए शिव की भक्ति में लींन थे । इस बात से दूषण को गुसा आ गया और चारो भाइयो को मरने के लिए उनकी और बढा । जेसे ही दूषण ने उन चारो को मरने के लिए तलवार उठाई । तेज रोशनी हुई और दूषण के आगे एक बडा सा गढा हो गया । और भवान शिव प्रकट हुये । भगवन शिव ने राक्षसों को ललकारा और वापस जाने को कहा । मगर दूषण अजय होने के वरदान से घमंडी हो गया था । और भगवान् शिव को भी मारने के लिए उनकी तरफ तलवार ले कर दोडा ।
भगवान शिव को गुसा आ गया और एक ही हुंकार में राक्षसों का सर्वनास कर दिया । और वेद्प्रिय के चारो पुत्रो को वरदान मांगने को कहा । इस पर चारो भाई बड़े प्रसन्न हुये और भगवान् शिव से बोले । हे प्रभु हमे मोक्ष प्रदान करे और उज्जेन वासियों की रक्षा के लिए आप सदेव येही विराजमान रहे । भगवान शिव अपने भक्तो से बहुत खुश हुए और उनको मोक्ष का वरदान दिया । महादेव भोलेनाथ उज्जेन वासियों की रक्षा के लिए वही विराजमान हो गये । महाकालेश्वर ज्योतिलिंग के नाम से भवान शिव की स्थली उज्जेन है । इस प्रकार से भोलेनाथ महाकालेश्वर ज्योतिलिंग 12 ज्योतिलिंग में एक मुख्य देव स्थल है ।
महाकालेश्वर भस्म आरती –Mahakaleshwar Jyotirlinga Mandir bhasm aarti
हाकालेश्वर ज्योतिलिंग मंदिर में आरती में भस्म आरती खास होती है। यह आरती सुबह भोर होने से पहले 3 बजे होती है। मान्यता के अनुसार भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए होती है । भगवान् के अनुष्ठान में हवन कुंड से ली पवित्र राख से {भभूती } भस्म आरती होती है ।इस समय महाकालेश्वर ज्योतिलिंग मंदिर का परिसर अत्यंत शिवमय एवं मनमोहक हो जाता है। आरती में शामिल में भक्तो की खुसी का अंदाजा आरती में हजारो भक्तो की भीड़ से लग जाता है । रात के तीन बजे आरती एक मात्र मंदिर महकलेवर ज्योतिलिंग मदिर में होती है । जिस में हजारो लोग भाग लेते है ।
Mahakaleshwar Jyotirlinga Mandir के आसपास पर्यटन स्थल
उज्जेन की धरती महादेव भोलेनाथ की पावन धरा है । उज्जैन दर्शनीय स्थल है । उज्जैन अपने दामन में सेकड़ो प्राचीन मदिर और देव स्थल को समेटे हुए है ।उज्जेन मंदिरो का लिए सुप्रसिद्ध है । हिन्दू धर्म ये जगह स्वर्ग से कम नहीं है । लाखो श्रद्धालु यहाँ अपनी आस्था लिए आते है उज्जेन तीर्थ स्थल के साथ विश्व प्रसिद पर्यटक स्थल भी है । देश विदश से रोज हजारो सेलानी यहाँ गुमने आते है । यहाँ बहुत से तीर्थ स्थल और पर्यटक स्थल है —
काल भैरव मंदिर, राम घाट, वृद्धकालेश्वर मदिर , गडकालिका मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, श्री राम जानकी मंदिर, हरिसिद्धी देवी मंदिर, गणेश मंदिर , गोमती कुण्ड, मंगलनाथ मंदिर, संदीपनी आश्रम , श्री चार धाम मंदिर, सर्वेश्वर महादेव , अंगारेश्वर महादेव
Mahakaleshwar Jyotirlinga Mandir कैसे पहुंचे
इंदौर में स्थित महारानी अहिल्या बाई होल्कर एअरपोर्ट उज्जैन का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है । इंदौर हवाई अड्डा भारत के सभी हवाई अड्डो से जुड़ा है। यहाँ से महाकालेश्वर 56 किलोमीटर दुरी पर है । आगे बस ,टेक्सी में भी जा सकते है