कुम्भलगढ़ किला-Kumbhalgarh Fort History In Hindi - Tourword

कुम्भलगढ़ किला-Kumbhalgarh Fort History in Hindi

By tourword

Updated On:

Follow Us
Kumbhalgarh_fort-कुम्भलगढ़-किला-Kumbhalgarh-Fort-History-in-Hindi

Kumbhalgarh Fort  , दोस्तों आपने विश्व की सबसे लम्बी दिवार {The Great Wall Of China } के बारे में तो सुना ही होगा। लेकिन क्या आप जानते है। विशव कि दूसरी सबसे लम्बी दीवार भारत में है। जी हा दोस्तों भारत के राज्य राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित कुम्भलगढ़ फोर्ट बात कर रहे है। इस किले कि दीवार 36 किलोमीटर लम्बी है।और 15 फीट चौड़ी है। इस किले का निर्माण वीर यौधा महाराणा कुम्भा ने करवाया था। यह दुर्ग समुद्रतल से करीब 1100 मीटर कि ऊचाईं पर स्थित है। 

Kumbhalgarh Fort

कुम्भलगढ़ का किला राजस्थान में झीलों की नगरी के नाम से मशहुर उदयपुर के पश्‍चिम से लगभग 80 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत मालाओ की गोद में स्‍थित है। कुम्भलगढ़ किला बनास नदी के नजदीक है। ये किला भारत के प्रसिद किलो में एक है । इस किले का निर्माण सन 1445 से 1458 के दौरान महाराजा राणा कुम्भ द्वारा करवाया गया था।

कुम्भलगढ महल महान योद्धा महाराणा प्रताप की जन्मभूमि है। ये किला एक प्राचीन विश्व धरोहर है । कुम्भलगढ़ के किले को देखने दूर दूर देशो से पर्यटक आते है । ये किला राजस्थान के विश्व प्रसिद और महत्वपूर्ण किलो में से है। कुम्भलगढ़ दुर्ग का निर्माण पूरा होने पर महाराणा कुम्भ ने सिक्के बनवाये थे जिन पर दुर्ग और इसका नाम अंकित था।

कुम्भलगढ़ किला-Kumbhalgarh Fort History in Hindi

कुम्भलगढ़ का किला लगभग 12 किलोमीटर के छेत्र में फेला है। कुम्भलगढ़ दुर्ग कई घाटियों व पहाड़ियों को मिला कर बनाया गया है। जिससे यह किला अजेय रहा है। इस दुर्ग में ऊँचे स्थानों पर महल, मंदिर व आवासीय इमारते बनायीं गई। कुंभलगढ़ किले के परसिर में देखने योग्य 350 से ज्यादा प्राचीन मंदिर और 13 गढ़ है। यह किला धार्मिक और पर्यटक स्थल दृष्टी से काफी महत्वपूर्ण है।

और ये किला पर्यवेक्षण मीनार से घिरा है। ये दृश्य पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते है। महाराणा प्रताप हल्दी घाटी का युद्ध हारने के बाद भी काफी समय इसी किले में दिन गुजरे थे। इस किले से महाराणा उदय सिंह का भी इतिहास रहा है। पन्ना धाय ने उदय सिंह को इसी किले में छिपा कर पालन पोषण किया था।

 

कुंभलगढ़ के किले की दीवार 36 किलोमीटर लम्बी और इस दिवार की चौड़ाई 15 फिट ज्यादा है। इस दिवार पे 10 घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं।

भारत के दर्शनीय स्‍थान..

Story of Kumbhalgarh Fort In Hindi

कुम्भलगढ़ के किला का सन 1443 में राणा कुम्भा ने जब निर्माण शुरू करवाया था। कुछ अजीब हुआ निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा था। निर्माण कार्य में बहुत साडी दिक्कते आने लगी। राजा राणा कुम्भा इस बात पर बहुत परेशांन रहने लगे। फिर एक महान संत माहाराजा से मिलने आये । संत ने राणा कुम्भा को बताया की निर्माण कार्य तभी आगे बढ़ेगा, जब कोई नर स्वेच्छा से अपनी बलि के लिए खुद तयार हो जाये। राणा कुम्भा इस बात से और चिंतित हो गए।

और सोचने लगे कि आखिर कौन होगा जो इस बलि के लिए तयार हो। तभी संत ने कहा कि माहाराजा वह खुद बलिदान के लिए तैयार है। और इसके लिए राजा से आज्ञा मांगी। संत ने कहा कि मुझे उस पहाड़ी पर चलने दिया जाए और जहां में रुकु वहीं व्ही मेरी बलि दी जाए। और वहां एक देवी माँ का मंदिर बनाया जाए। और संत चल पड़े 36 किलोमीटर तक चलने के बाद रुक गये। जेसा संत कहा ठीक वेसा ही किया गया ,संत सिर धड़ से अलग कर दिया गया। जहां पर उसका सिर गिरा वहां मुख्य द्वार हनुमान पोल है। और जहां पर उसका शरीर गिरा वहां दूसरा मुख्य द्वार है।

कुम्भलगढ़ किला-Kumbhalgarh Fort History in Hindi
कुम्भलगढ़ किला-Kumbhalgarh Fort History in Hindi
Kumbhalgarh Fort

Kumbhalgarh Fort

महाराणा कुंभा के रियासत में कुल 84 किले थे। जिसमें से 32 किलों का नक्शा महाराणा कुंभा के द्वारा बनवाया गया था। कुंभलगढ़ का किला भी उनमें से एक है। कुंभलगढ़ के किले की दीवार की चौड़ाई 15 फिट से ज्यादा है। इस दिवार पे 10 घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं। एक इस बात का भी जिक्र होता है। कि महाराणा कुंभा ने इस किले में रात में काम करने वाले मजदूरों के लिए 50 किलो घी और 100 किलो रूई का प्रयोग करते थे जिनसे बड़े बड़े लेम्प जला कर प्रकाश किया जाता था।

कुंभलगढ़ के किला  के बनने के बाद ही इस पर आक्रमण शुरू हो गए थे । इतिहास के अनुसार एक बार को छोड़ कर ये किला हमेशा अजेय ही रहा है। लेकिन इस दुर्ग की बहुत सी दुखांत घटनाये भी है। जिस महान योद्धा महाराणा कुम्भा को कोई पराजय की कर सका था। वही महाराणा कुम्भा इसी किले में अपने पुत्र उदय कर्ण द्वारा राज्य लिप्सा में मारे गए।

tourword

My Name is Sunil Saini and I live in Jaipur. I am very Fond of Traveling And Seeing New Places. That's why I Started Blogging in 2018

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now