नाहरगढ़ किले का इतिहास – Nahargarh Fort Jaipur History in Hindi
Nahargarh Fort Jaipur History in Hindi नाहरगढ़ किला राजस्थान की राजधानी जयपुर में उत्तर—पश्चिम में अरावली की पहाड़ी पर स्थित हैं। यह किला जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वारा बनाया गया था। पीले रंग का नारहगढ़ किला गुलाबी नगर की खूबसूरती में चार चांद लगाता है। नाहरगढ़ का किला शहर के लगभग हर कोने से नजर आता है। इस किले को देखना निश्चित ही आनंदमयी और मनमोहक होता है।
Nahargarh Fort Jaipur
आमेर किले और जयगढ़ किले के साथ नाहरगढ़ किला भी जयपुर शहर को कड़ी सुरक्षा प्रदान करता है। असल में किले का नाम पहले सुदर्शनगढ़ था लेकिन बाद में इसे नाहरगढ़ किले के नाम से जाना जाने लगा। इस किले का नामकरण जयपुर के राजकुमार नाहर के नाम पर किया गया था। कहा जाता है कि राजकुमार की आत्मा, इस किले के निर्माण में काफी बाधा पहुंचाती थी जिसके बाद किले के परिसर में एक मंदिर का निर्माण करवाया गया जिसमें राजकुमार की आत्मा की शांति के लिए काफी प्रयास किए गए थे।
नाहरगढ़ किले का इतिहास – Nahargarh Fort Jaipur History in Hindi
एक कथा यह भी हैं की वनक्षेत्र होने के कारण यहां बाघ विचरण करते थे। यह राजपरिवार की शिकारगाह भी थी। स्थानीय भाषा में बाघ और शेर को लोग नाहर कहते थे। इसलिए इसे नाहरगढ कहने लग गए। कुछ लोग इसे टाइगर फोर्ट भी कहते है।
नाहरगढ़ किले ( Nahargarh Fort Jaipur ) का निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय के समय में शुरू हुआ और बाद के शासकों ने उसमें कई निर्माण कराएं। उन्होंने किले के अंदर ही एक छोटा सा महल डिजाइन करने को कहा जो छुट्टी की सैरगाह हो। इतिहासकारों के अनुसार, सवाई रामसिंह ने यहां 1868 में तथ उसके बाद सवाई माधोसिंह ने 1883 से 1892 के बीच यहां लगभग साढ़े तीन लाख रूपए खर्च कर कई महत्वपूर्ण निर्माण कराए और नाहरगढ़ को वर्तमान रूप दिया।
Nahargarh Fort Jaipur History in Hindi
अरावली की पहाड़ी पर स्थित पीले रंग का नारहगढ़ किला कहा जाता है की यह किला पहले आमेर की राजधानी हुआ करता था। इस किले पर कभी किसी ने आक्रमण नही किया था लेकिन फिर भी यहाँ कई इतिहासिक घटनाये हुई है, जिसमे मुख्य रूप से 18 वी शताब्दी में मराठाओ की जयपुर के साथ हुई लढाई भी शामिल है। 1847 के भारत विद्रोह के समय इस क्षेत्र के युरोपियन, जिसमे ब्रिटिशो की पत्नियाँ भी शामिल थी, सभी को जयपुर के राजा सवाई राम सिंह ने उनकी सुरक्षा के लिये उन्हें नाहरगढ़ किले में भेज दिया था।
काफी लम्बे—चौड़े एरिया में फैले इस किले में की मुख्य इमारत को माघवेन्द्र महल के नाम से जाना जाता है। यह नाहरगढ़ किले का मुख्य आकर्षण भी है जिसे विद्याधर भट्टाचार्य ने डिजाइन किया था। भट्टाचार्य ने ही जयपुर का गुलाबी शहर भी डिज़ाइन किया था। इस भवन की आंतरिक साजसज्जा खूबसूरत भित्ति चित्रों और स्टको डिज़ाइन से की गई है। नाहरगढ़ किले का इस्तेमाल खासतौर पर शाही महिलाओं द्वारा किया जाता था।
महिला क्वार्टर जिसे ’जनाना’ के नाम से जाना जाता है उसे शाही महिलाओं के बीच प्रभाव बनाने के लिए तैयार किया गया था। माधवेंद्र भवन के नाम से भी मशहूर ’जनाना’ को महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। नाहरगढ़ किले का यह हिस्सा कला, सुंदरता और संस्कृति में राजपूताना की शानदार पसंद के बारे में बखान करता है। यह महिला क्वार्टर चार आंगनों में फैला है। दिलचस्प बात यह है कि शाही पुरूषों ने ’मर्दाना महल’ का भी निर्माण करवाया था।
Nahargarh Fort Jaipur
यहां पर इसके अतिरिक्त रानियों के लिए बनाए गए नौ और महल है। ये सभी महल माघवेन्द्र महल से परस्पर जुड़े हुए है। इन महलों के नाम नाम सूरज प्रकाश महल, चंद्र प्रकाश महल, आनन्द प्रकाश महल, जवाहर प्रकाश महल, लक्ष्मी प्रकाश महल, रत्न प्रकाश महल, ललित प्रकाश महल, बसंत प्रकाश महल और खुशाल प्रकाश महल है। यह कमरे महाराजा की नौ पत्नियों के लिए बनवाए गए थे। कहा जाता है कि यह एक समान कमरे एक आयताकार आंगन के तीन तरफ बने हैं। महाराजा का कमरा आंगन के चैथी तरफ बना है।
इन कमरों की आंतरिक सज्जा भारतीय वास्तुकला से की गई है जिसमें यूरोपीय कला का टच है, जैसे पश्चिमी शौचालय और आयताकार खिड़कियां। इन कक्षों के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह एक गलियारे के माध्यम से एकदूसरे से जुड़े हैं और इस तरह बनाए गए थे कि महाराजा किसी भी समय किसी भी पत्नी से मिल सके बिना दूसरी पत्नियों की जानकारी के। महाराजा ने रानियों की सुविधा के लिए हर रानी का नाम उनके कमरे के बाहर खुदवा रखा था।
माघवेन्द्र महल के सामने एक बावड़ी है। इसकी सीढ़ियां सामान्य नहीं है। तीन तरफ की सीढ़ियां लहरदार आकृति में बनी हुई है। किले के मुख्य दरवाजे के बाहर जाते समय बायें हाथ की तरफ प्राचीर के साथ ओपन थिएटर भी है। अपने समय का यह जयपुर का पहला मुक्ताकाशीय मंच था। यहां राजा महाराजाओं और ब्रिटिश परिवारों के लिए मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। कारिन्दों और सैनिकों रहने के लिए भी यहां विशेष प्रबंध थे। यहां वर्षा जल संरक्षण के लिए टांके का निर्माण कराया गया।
Nahargarh Fort Jaipur
मुगलों द्वारा इस किले पर कभी कोई आक्रमण नही किया गया था, नाहरगढ़ किले में लगी पिस्तौल का उपयोग फायरिंग का सिंग्नल देने के लिये किया जाता था। वर्तमान में यहां नाइट ट्यूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यहां कैफेटेरिया, रेस्टोरेंट आदि की सुविधा है। जहां रात को देर तक पर्यटक बैठकर राजस्थानी भोजन का लुत्फ उठा सकते है। ओपन थियेटर में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। पर्यटकों को यहां से रात में शहर का नजारा भी दिखाया जाता है।
हिंदी फिल्म रंग दे बसंती और शुद्ध देसी रोमांस और बंगाली फिल्म सोनार केल्ला के कुछ दृश्य को नाहरगढ़ किले में ही शूट किया गया है। इसके साथ जोधा अकबर के भी बहुत से दृश्यों को यहाँ शूट हुवा हैं।
Nahargarh Fort Jaipur Photography Charges
- For Indian: Rs. 20.00
- For Foreigner: Rs. 50.00
Nahargarh Fort Entry Fee
- For Indian: Rs. 50 .00
- For Foreigner: Rs. 200 .00
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