Varanasi Tourist Place बाबा विश्वनाथ की नगरी Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah – वाराणसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे स्थित है। जो हिंदुओं के लिए एक बहुत ही खास तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां साल में बहुत से श्रद्धालु वाराणसी तीर्थ यात्रा करने आते है। वाराणसी के तीर्थ स्थल आज विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। लोग अपनी मन की शांति और सकून के लिए यहां आते है। ये हिन्दू धर्म के सात पवित्र शहरों में से एक है। हिन्दू धर्म के अनुसार यहां आकर लोग मुक्ति और शुद्धिकरण के लिए आते हैं। वाराणसी विश्व भर के हिन्दू धर्म मे सबसे प्रसिद्द ओर पवित्र तीर्थ स्थल है।
पर्यटक दृष्टि से भी वाराणसी शहर बहुत लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। प्रतिवर्ष यहां बहुत से पर्यटक यहां घूमने आते है। यहां के तीर्थ स्थलों व मंदिरों के दर्शन करके लोग बहुत सकूँन महसूस करते है। ओर अपना जीवन धन्य ओर सफल मानते है। पर्यटकों को वाराणसी के घाट और वाराणसी के पर्यटक स्थल , वाराणसी की प्राचीन इमारते बहुत पसंद आते है। आज वाराणसी के तीर्थ स्थल देखने देश विदेश से लाखो पर्यटक प्रतिवर्ष यहां आते है। क्योंकि ये धार्मिक स्थल सिर्फ भारतीय पर्यटकों को ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।
वाराणसी का इतिहास – History Of Varanasi In Hindi
काशी के नाम से प्रसिद्ध वाराणसी शहर भारत का प्राचीन शहर है। जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है। गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर की उत्पति हजारों वर्ष पुरानी है। इस शहर की संस्कृति, पौराणिक कथाओं, आज पूरे विश्व में जानी जाती है। ये शहर साहित्य और कला का एक प्रमुख स्थान है। इस स्थान पर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह रचाया था। और फिर इस स्थान को अपना निवास स्थान बनाया था। यहां भगवान शिव के जीवन के स्वरूप को यहां के लोगो द्वारा सुना जा सकता है।
बाबा भोले नाथ की नगरी काशी मे आज भी भगवान शिव का वास है। इसीलिए ये विश्व प्रसिद्द तीर्थ स्थल है। जब इन जगहों पर इंसानों की उत्पति हुई। तब आर्यों ने शहर में आकर अपना आवास स्थान इसे बनाया।ओर वे यहां रेशम, मलमल, हाथी दांत और इत्र आदि चीजों का व्यापार किया करते थे। अफगानो के आक्रमण करने से ओर मुस्लिम शासन काल के समय इस शहर की बहुत बुरी हालत हुई थी। उस समय यहां पर बहुत विनाशकारी स्थिति थी। जिसके कारण बहुत सारे मंदिरों व स्थानों का विनाश हुआ।
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Varanasi Tourist Place बाबा विश्वनाथ की नगरी Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
भारत अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जो हमें अतीत की अद्भुत झलक दिखलाती हैं। सिर्फ धरोहरें ही नहीं, बल्कि यहां के कई शहरों का भी एक अनूठा और प्राचीन इतिहास है। भारत में कई शहर ऐसे हैं, जो सौ- दो सौ नहीं, बल्कि हजारों साल पुराने हैं। इन्हीं में से एक है बाबा भोलेनाथ की नगरी, वाराणसी। यह शहर न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक माना जाता है। यह शहर दुनिया भर के पर्यटकों अपनी ओर आकर्षित करती है, वाराणसी शहर मे घूमने के लिए काफी लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहा दुनिया भर के टुरिस्ट घूमने आते है।
Assi Ghat Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
अस्सी घाट गंगा नदी के किनारे पर स्थित है। अस्सी घाट वाराणसी शहर के रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस घाट में पीपल का एक पेड़ लगा हुआ है। जिसके नीचे भगवान शिव की बहुत सुंदर और विशाल शिवलिंग स्थित है। हर सुबह ओर शाम को लोगो द्वारा शिवलिंग की पूजा की जाती है। ये भगवान शिव के प्रति लोगो की आस्था होती है कि वे भगवान की पूजा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है।
अस्सी घाट पर्यटकों,शोधकर्ताओं व सेवा निवृत होने के बाद सैनिक यहां घूमने आते है। ये स्थान सभी लोगो का पसंदीदा स्थल है। गंगा नदी ओर अस्सी नदी का संगम होता है। वही ही अस्सी घट बना हुआ है। प्राचीन ग्रंथो व पौराणिक धारणा के अनुसार ऐसा माना जाता है। की इस स्थान पर माता दुर्गा ने शुंभा ओर निशुंभा नाम के दो राक्षसों का नाश किया था। इन दोनों राक्षसों का वध कर अपनी तलवार को इसी जगह फेंका था।
ओर जिस स्थान पर तलवार गिरी , वहीं से अस्सी नदी का क्षेत्र शुरू जाता है। जिन्हे दो नदियों के प्रवाह और संगम का देवता माना जाता है। घाट पर एक काफी पुराना टैंक है। जो धरती की सतह से 15 मीटर की गहराई पर स्थित है। मार्च ओर अप्रैल व जनवरी और फरवरी के महीनो में पर्यटकों ओर श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है। अस्सी घाट में हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु भ्रमण करने आते है।
Dashashwamedh Ghat Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
दशाश्वमेध घाट गंगा नदी के तट पर स्थित मुख्य घाट है। ये घाट वाराणसी का एक बहुत ही खास स्थान है। जो अपनी आध्यात्मिकता के कारण पूरे विश्व में जाना जाता है। ग्रंथो के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने दसा अश्वमेध यज्ञ किया था। ब्रह्मा ने 10 घोड़ों की बलि इस यज्ञ में दी थी।
दशाश्वमेध घाट वाराणसी के पर्यटन स्थलों में सबसे प्रमुख ओर पहला घाट माना जाता है। ये एक बहुत ही आकर्षित करने वाला धार्मिक स्थल है। इस घाट पर की जाने वाली गंगा आरती पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। शाम को इस घाट पर आयोजित गंगा आरती सब को मोहित करती है। सब लोग मां गंगा की भक्ति में लीन हो जाते है। यह प्रतिदिन हजारों की तादाद में लोगों को भीड़ जमा होती है।
Kashi Vishwanath Mandir Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के गंगा नदी के पश्चिम में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान शिव के सभी रूपों के चित्रों का संकलन है। शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मे काशी विश्वनाथ मंदिर है, देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से काशी विश्वनाथ मंदिर को विशेष माना जाता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी का सबसे प्राचीन और खास मंदिर है जो कि पर्यटकों को बहुत रास आता है। ये सबसे प्राचीन मंदिर होने के कारण लोगो की इसमें विशेष आस्था है। मंदिर में आरती के समय प्रतिदिन हजारों श्रद्वालु ओर भक्त यहां आते है। किसी विशेष उपलक्ष या उत्सव के दिन यहां लोगो की भीड़ लाखो हो जाती है। इस मंदिर का उल्लेख भारत के प्राचीन ग्रंथो में भी किया गया है।
Ramnagar kila Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
रामनगर किला गंगा नदी के पूर्वी तट पर तुलसी घाट के सामने स्थित है। इसका निर्वाण काशी नरेश बलवंत सिंह ने करवाया था। रामनगर किले को 1750 में बनाया गया था। इस किले कि वास्तुकला शैली बहुत ही अद्भुत है। राजाओं का शासनकाल तो खत्म हो चुके है लेकिन राजाओं के वंशज महाराजा पीलू भीरू सिंह आज भी वहा पर निवास करते है। ये किला चुनार के बलुपत्थर से बना है।
Durga Mandir Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
दुर्गा मंदिर वाराणसी के प्रसिद्द मंदिरों में एक है। ये यहां का प्रमुख माना जाता हैं । जिसे बंदर मंदिर भी कहते हैं। इस मंदिर का निर्माण 18 शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर को बंगाली महारानी द्वारा बनवाया गया था। दुर्गा मंदिर को लाल व गेरू रंगों से सजाया गया है। इस मंदिर की विशेष बात ये है कि इस मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना नहीं की गई थी। बल्कि यह दुर्गा मां की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। पर्यटक वाराणसी घूमने आते है तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करते है। ये वाराणसी अद्भुत मंदिर है। ये पर्यटक दृष्टि से बहुत सुंदर मंदिर है।
Manikarnika Ghat Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
मणिकर्णिका घाट वाराणसी का सबसे पुराना घाट माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने इस स्थान पर बहुत समय अकेले वास किया था। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसका दाह संस्कार इसी स्थान पर होता है। मणिकर्णिका को श्मशान घाट भी कहते है। ये वाराणसी का अंतिम सस्कार के लिए शुभ स्थान माना जाता है।
यहां पर्यटकों को हिन्दू धर्म के दाह संस्कार देखने ओर यहां के रीति रिवाज जानने का मौका भी मिलता है। यहां महिलाओं का जाना वर्जित है। यहा भगवान विष्णु के चरण पादुका के निशान भी हम देख सकते है। जो एक स्लैब स्टोन पर बने हुए है। यहां संपन्न, धनवान ओर किसी विशेष व्यक्ति का अंतिम संस्कार यही किया जाता है।
Chunar Kila Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
चुनार का किला वाराणसी शहर से 23 किमी की दूरी स्थित है। चुनार किले का इतिहास 16 वीं शताब्दी का माना जाता है। ये किला कैमूर पर्वत पर बना हुआ है।चुनार किला गंगा नदी के ठीक किनारे पर दक्षिण में बना हुआ है। इस किले में हिन्दुओं के भवनों के अवशेष भी यहां पाए जाते है । इन भवनों पर हिन्दुओं की कलाकृति के चित्र भी बने हुए है। प्राचीन समय में ये हिन्दुओं का शक्ति केंद्र हुआ करता था। पर्यटक दृष्टि से ये स्थान बहुत अच्छा है।
Sarnath Mandir Varanasi Mai Ghumane Ki Jagah
भारत के प्रसिद्द बौद्ध धर्म का तीर्थस्थल सारनाथ है। सारनाथ वाराणसी से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये बौद्ध धर्म के लोगो का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है। सारनाथ वाराणसी में घूमने व पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। यहां का माहौल बहुत ही शांत और सरल है। भगवान बुद्ध बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने हेतु गए थे। तब वे सारनाथ में अपने बचपन के मित्रो कि तलाश आए थे। भगवान बुद्ध ने यहां के लोगो के समक्ष अपना प्रथम उपदेश दिया था। सारनाथ में अन्य कई दर्शनीय स्थल है जिनमे प्रमुख है – चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, धमेख स्तूप, पुरातत्व संग्रहालय, मूलगंध कुटी विहार, चीनी, थाई मंदिर और मठ शामिल हैं।