Prayagraj Places – प्रयागराज शहर धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का संगम होता है, जिसे त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है। हर छह वर्षों में यहाँ अर्धकुंभ और बारह वर्षों में महाकुंभ मेले का आयोजन होता है, प्रयागराज इन मेलों के दोरान लाखों करोड़ों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। इस खूबसूरत शहर प्रयागराज मे बहुत सारे सानदार पर्यटन स्थल है। यहा घूमने के लिए बहुत सारी खूबसूरत जगह है। इस लेख मे हम प्रयागराज मे घूमने की जगहों के बारे मे विस्तार से चर्चा करेंगे।
Maha Kumbh Mela in Prayagraj
प्रयागराज मे टुरिस्ट प्लेस के साथ महाकुंभ मेले के लिए भी जाना जाता है, जो प्रयागराज का सबसे भव्य और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। यह मेला हर 12 वर्षों में त्रिवेणी संगम पर आयोजित होता है, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का पवित्र संगम होता है। महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव माना जाता है। महाकुंभ श्रद्धा, आस्था, और संस्कृति का एक अद्वितीय संगम है। जिसमें दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु, संत, साधु, और पर्यटक भाग लेते हैं। प्रयागराज मे घूमने के लिए भी कई प्रसिद्ध पर्यटक ओर धार्मिक स्थल जो यहा आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करते है।
Bade Hanumanji temple of Prayagraj
प्रयागराज के बड़े हनुमान जी का मंदिर, जो गंगा नदी के तट पर स्थित है, यह प्राचीन मंदिर अपनी अद्वितीयता और धार्मिक महत्व ओर हनुमान जी लेटी हुई की विशालकाय प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। जो भक्तों के बीच गहरी आस्था का केंद्र है। बड़े हनुमान जी का मंदिर हनुमान जी की 20 फीट लंबी और 8 फीट चौड़ी लेती हुई प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा भूमि पर लेटी हुई अवस्था में है, जो अन्य मंदिरों में स्थापित खड़ी या बैठी हुई हनुमान जी की मूर्तियों से अलग है।
मंदिर त्रिवेणी संगम के नज़दीक स्थित है, जहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है। संगम के पवित्र जल के समीप स्थित होने के कारण इस मंदिर का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। हर साल मानसून के दौरान, जब गंगा और यमुना का जल स्तर बढ़ता है, तो हनुमान जी की मूर्ति जलमग्न हो जाती है।
भक्त इसे हनुमान जी का गंगा स्नान मानते हैं और इसे शुभ संकेत माना जाता है। मंदिर का स्थापत्य बेहद साधारण और पारंपरिक है, लेकिन इसकी आस्था और ऊर्जा भक्तों को आकर्षित करती है। मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। प्रयागराज का बड़े हनुमान जी का मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह स्थान न केवल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का एक प्रमुख स्थल है।
Triveni Sangam of Prayagraj In Hindi
त्रिवेणी संगम प्रयागराज का सबसे पवित्र और प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह वह स्थान तीन पवित्र नदियाँ—गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती—आपस में मिलती हैं। हिंदू धर्म में इस संगम को अत्यंत शुभ और मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है। त्रिवेणी संगम को पवित्र स्नान का स्थान माना जाता है। मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ मेला और अर्धकुंभ मेले के दौरान संगम पर लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं। त्रिवेणी संगम न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक समृद्धि का केंद्र भी है।
Ashoka Pillar of Prayagraj
प्रयागराज का अशोक स्तंभ भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। जिसे सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था। यह स्तंभ मौर्य साम्राज्य की अद्वितीय वास्तुकला और कला का उदाहरण है। प्रयागराज मे स्थित अशोक स्तंभ लगभग 10.6 मीटर (35 फीट) ऊँचा है और इसे एक ही पत्थर से तराशा गया है। इसका निर्माण बलुआ पत्थर से किया गया है, जो इसकी भव्यता और स्थायित्व को दर्शाता है।
स्तंभ पर ब्राह्मी लिपि में लेखन किया गया है, जिसमें अशोक के धम्म (धर्म) के सिद्धांत और उनके शांति और अहिंसा के संदेश अंकित हैं। इन शिलालेखों में समाज में नैतिकता, न्याय और धार्मिक सहिष्णुता का प्रचार किया गया है। अशोक स्तंभ भारत की प्राचीन सभ्यता, धर्म और कला का अद्भुत उदाहरण है। यह स्तंभ न केवल मौर्य साम्राज्य की शक्ति और वैभव का प्रतीक है। प्रयागराज आने वाले पर्यटक इस स्तंभ को देखकर भारतीय इतिहास की गहराई और समृद्धि का अनुभव करते हैं।
प्रयागराज किला ( Prayagraj Fort)
प्रयागराज किला यमुना नदी के किनारे त्रिवेणी संगम के पास स्थित है। साल 1583 में निर्मित यह किला भारत के सबसे बड़े और भव्य किलों में से एक है। इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है और इसमें तीन बड़े प्रवेश द्वार हैं। किले की दीवारें मजबूत और ऊँची हैं, जो इसकी भव्यता और रक्षा प्रणाली को दर्शाती हैं। किले के अंदर सम्राट अशोक द्वारा स्थापित एक प्राचीन अशोक स्तंभ स्थित है। और इस पर ब्राह्मी लिपि में शिलालेख अंकित हैं। यह स्तंभ भारतीय इतिहास और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। किले के परिसर मे पातालपुरी मंदिर भी है, जो एक भूमिगत मंदिर है।
इस मंदिर में अक्षयवट वृक्ष है, जिसे अमर वृक्ष माना जाता है। हिंदू धर्म में इसे मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है, और श्रद्धालु इसकी पूजा करते हैं। किले के अंदर एक प्राचीन कुआँ है जिसे सरस्वती कूप कहा जाता है। इसे सरस्वती नदी का स्रोत माना जाता है। इस किले का अधिकांश भाग वर्तमान में भारतीय सेना के नियंत्रण में है, इसलिए पर्यटक केवल सीमित क्षेत्र का ही भ्रमण कर सकते हैं। प्रयागराज किला न केवल भारतीय इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह धार्मिक और वास्तुकला के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
Amar Shaheed Chandrashekhar Azad Park in Prayagraj
चंद्रशेखर आजाद पार्क प्रयागराज का एक ऐतिहासिक स्थल है। यह पार्क भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक चंद्रशेखर आजाद की वीरता और बलिदान का साक्षी है। इस पार्क में वह पेड़ आज भी मौजूद है, जिसके पास आजाद ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। यहाँ उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है, जो उनके बलिदान को याद दिलाती है। यह पार्क 133 एकड़ में फैला हुआ है और चारों ओर हरियाली से घिरा हुआ है। यहाँ खूबसूरत फूलों की क्यारियाँ हैं, जो प्रकृति प्रेमियों पर्यटकों को आकर्षक करती हैं।
चंद्रशेखर आजाद पार्क स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ यह प्रयागराज का एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। जहा आजाद के बलिदान को याद भी किया जाता है, ओर पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए एक शांतिपूर्ण और मनोरंजक स्थान है।
पब्लिक लाइब्रेरी प्रयागराज
प्रयागराज की पब्लिक लाइब्रेरी, जिसे पहले टाउन हॉल लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता था, शहर की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक लाइब्रेरी है। यह चंद्रशेखर आजाद पार्क परिसर के भीतर स्थित है और अपनी समृद्ध पुस्तक-संग्रह, ऐतिहासिक महत्व और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। पब्लिक लाइब्रेरी की इमारत ब्रिटिश काल की वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। यह भव्य भवन ऊँची छतों, विशाल खिड़कियों और संगमरमर की सीढ़ियों से सुसज्जित है। चंद्रशेखर आजाद पार्क के हरे-भरे वातावरण के बीच स्थित यह लाइब्रेरी पाठकों को शांति और अध्ययन के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करती है।