भारत में आस्था और विश्वास का केंद्र, श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर( Tirupati Balaji Mandir), आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। यह तिरुपति मंदिर हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है, और भगवान विष्णु के एक अवतार, वेंकटेश्वर (बालाजी) को समर्पित है। प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु Tirupati Balaji Mandir में दर्शन करने आते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस लेख में हम मंदिर के इतिहास, उसकी मान्यता, परंपराओं, कहानियों और महत्वपूर्ण तथ्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास – History of Tirupati Balaji Mandir
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है और यह माना जाता है कि इसका निर्माण करीब 2000 साल पहले किया गया था। कई ऐतिहासिक लेखों और शिलालेखों में इस मंदिर के निर्माण का उल्लेख मिलता है। मंदिर का निर्माण 300 ईसवी पूर्व के आसपास शुरू हुआ माना जाता है, हालांकि इसका वर्तमान स्वरूप कई राजाओं द्वारा समय-समय पर पुनर्निर्मित और विस्तारित किया गया है। चोल, पल्लव और विजयनगर साम्राज्यों ने इस मंदिर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय ने 15वीं शताब्दी में मंदिर की भव्यता को और बढ़ाया। उन्होंने मंदिर के कुछ प्रमुख हिस्सों का निर्माण करवाया और इसकी सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण उपाय किए। इसके अलावा, कई राजवंशों के शासकों ने बालाजी मंदिर के लिए धन और संसाधनों का दान किया। मंदिर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के चलते, इस मंदिर की संपत्ति और गतिविधियों का संचालन तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा किया जाता है, जो एक स्वतंत्र प्रशासनिक संस्था है।
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तिरुपति बालाजी मंदिर की वास्तुकला – Architecture of Tirupati Balaji Mandir
तिरुपति बालाजी मंदिर समुद्र तल से 2,800 फ़ीट की ऊंचाई पर बना है,तिरुपति बालाजी मंदिर की वास्तुकला में द्रविड़ स्थापत्य शैली का प्रभाव दिखता है। यह मंदिर अपनी प्राचीन शैली को दर्शाता है और अपने समृद्ध इतिहास, धार्मिक महत्व और कलात्मक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में प्रवेश करने के तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं,
मंदिर का प्रवेश द्वार जिसे गोपुरम कहा जाता है, जो 50 फिट ऊँचा है। गोपुरम पर बारीक नक्काशी की गई है, जिसमें हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं की झलक मिलती है। गोपुरम की संरचना पिरामिड जैसी होती है और यह मंदिर की ऊंचाई को बढ़ाती है। मंदिर का सबसे पवित्र स्थल गर्भगृह है, जहाँ भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति स्थित है। इस कक्ष में भक्तों का प्रवेश सीमित होता है। गर्भगृह के ऊपर का हिशा पूरी तरह से सोने से बना है और इसके शीर्ष पर एक ही कलश है. इस गोपुरम पर कई देवताओं के चित्र उकेरे गए हैं.
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तिरुपति बालाजी मंदिर की मुख्य मूर्ति
गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है और इसे शास्त्रीय भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। मूर्ति के आसपास स्वर्णमंडित आभूषण और रत्नों से सजावट की गई है, जो उसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं। भगवान वेंकटेश्वर की यह मूर्ति वास्तुकला और धार्मिक महत्व का अद्वितीय मेल है।
तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद क्या है? What is the Prasad of Tirupati Balaji Mandir ?
तिरुपति बालाजी मंदिर के मंदिर में मिलने वाले मुख्य प्रसाद लड्डू है,मंदिर इस लड्डू प्रसाद को बेसन,घी,चीनी,काजू,इलायची,मिश्री और किशमिश को मिल कर बनाया जाता है। जब ये प्रसाद बन कर तैयार किया जाता है.तो भगवान को चढ़ाया जाता है। ये प्रसाद बहुत ही पवित्र माना जाता है उन भक्तों के लिए जो भगवान तिरुपति के दर्शन करने के लिए जाते हैं।
मंदिर में भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में प्रमुख रूप से ‘लड्डू प्रसादम’ की विशेष महत्ता है। यह प्रसाद केवल मंदिर में ही मिलता है और इसे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है। इसे विश्व का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक प्रसाद भी कहा जाता है।
तिरुपति मंदिर की परंपरा
तिरुपति बालाजी मंदिर की परंपराएं अनोखी और धार्मिक आस्थाओं से परिपूर्ण हैं। यहाँ प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर में दिनभर होने वाली आरतियों और सेवाओं का विशिष्ट समय निर्धारित है। इनमें ‘सुप्रभातम’, ‘थोमाला सेवा’, ‘अर्चना’, और ‘एकांत सेवा’ शामिल हैं। इस मंदिर में वर्ष भर विभिन्न त्योहार और विशेष अवसर मनाए जाते हैं, जिनमें ‘ब्रह्मोत्सवम’ सबसे प्रमुख है। ब्रह्मोत्सवम एक नौ दिवसीय उत्सव है, जो भगवान वेंकटेश्वर के सम्मान में मनाया जाता है। इस अवसर पर मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना होती है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों का दान
श्रद्धालु तिरुपति बालाजी मंदिर मे ‘केश दान’ की परंपरा का पालन करते हैं। भक्तगण मंदिर में आकर अपने बाल दान करते हैं, जो उनके अहंकार और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इसे जीवन के नवीकरण की प्रक्रिया माना जाता है। मंदिर में आने वाले भक्त अक्सर अपना सिर मुंडवाते हैं, ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति तिरुपति बालाजी में जाकर बालों का दान करता है, तो श्री वेंकटेश्वर उन्हें धनी बना देते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर की कहानी – Story of Tirupati Balaji Mandir
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी अनेक धार्मिक कहानियां और पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख यह है कि भगवान विष्णु ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए वेंकटेश्वर के रूप में तिरुपति पर्वत पर निवास किया। यह मान्यता है कि जब देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को त्याग दिया, तो वे धरती पर आए और तिरुपति पर्वत पर तपस्या की। उनके तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा और शिव ने उनकी स्तुति की, और इस तरह भगवान वेंकटेश्वर यहाँ प्रकट हुए। इस कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने तिरुपति पर्वत पर निवास करने का निश्चय किया और यहाँ उनकी मूर्ति स्वयं प्रकट हुई।
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तिरुपति बालाजी मंदिर वीआईपी दर्शन – Tirupati Balaji Mandir vip darshan
तिरुपति बालाजी मंदिर (श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर) में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। भारी भीड़ के कारण, मंदिर प्रशासन (तिरुमला तिरुपति देवस्थानम, TTD) ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वीआईपी दर्शन की व्यवस्था की है। इस विशेष दर्शन का उद्देश्य श्रद्धालुओं को सामान्य लाइन से अलग विशेष सेवा उपलब्ध कराना है, ताकि वे बिना लंबी प्रतीक्षा किए भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन कर सकें।
वीआईपी दर्शन के प्रकार
तिरुपति बालाजी मंदिर में वीआईपी दर्शन के कई प्रकार होते हैं। हर प्रकार की अपनी विशेषता और प्रक्रिया होती है, वीआईपी दर्शन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
L1: यह श्रेणी उच्च स्तर के सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और विशिष्ट अतिथियों के लिए होती है।
L2: इसमें छोटे स्तर के सरकारी अधिकारी और मंदिर से जुड़े उच्च अधिकारी आते हैं।
L3: आम श्रद्धालुओं के लिए यह श्रेणी होती है, जिनके पास वीआईपी पास होता है या जिन्होंने विशेष दान किया होता है। यह श्रेणी अधिकतर बड़ी भीड़ के दौरान खुलती है।
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यह दर्शन 300 रुपये की टिकट पर उपलब्ध होता है, जिसे ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। यह वीआईपी दर्शन की सबसे सामान्य श्रेणी है, जिसमें श्रद्धालुओं को विशेष प्रवेश दिया जाता है और उन्हें सामान्य कतार से अलग रखा जाता है। इस दर्शन की सुविधा का लाभ वे श्रद्धालु उठा सकते हैं जो भीड़ से बचना चाहते हैं। इसके लिए श्रद्धालु TTD की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर वीआईपी दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।
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रुपति बालाजी मंदिर के महत्वपूर्ण तथ्य – Tirupati Balaji Mandir Important facts
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कई रहस्यमय और अद्वितीय तथ्य हैं, जो इस पवित्र स्थल को और भी विशेष बनाते हैं। इन तथ्यों के पीछे धार्मिक आस्था और परंपराएं जुड़ी हुई हैं, जो तिरुमला के इस मंदिर की पवित्रता को और भी गहरा करती हैं। आइए, इन रोचक तथ्यों पर नज़र डालते हैं:
तिरुपति बालाजी मंदिर को दुनिया का सबसे धनी मंदिर माना जाता है। यहाँ हर साल करोड़ों रुपये का दान भक्तों द्वारा दिया जाता है, जिसे मंदिर के प्रशासन द्वारा धार्मिक और सामाजिक कार्यों में उपयोग किया जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम को भारत सरकार द्वारा जीआई (Geographical Indication) टैग प्राप्त है, जो इसे विशेष और प्रमाणित बनाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में हर दिन लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इसके लिए विशेष व्यवस्थाएँ की गई हैं, ताकि सभी भक्त भगवान के दर्शन कर सकें।
मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते ही दाई ओर एक छड़ी रखी है, जिसे कहा जाता है कि बालाजी की मां उसी छड़ी से उनकी पिटाई की थी,पिटाई के दौरान ही उनकी ठुड्डी पर चोट लग गई थी जिस पर उनकी मां ने वह चंदन का लेप लगाया था जो आज भी प्रथा के रूप में जारी है।
मंदिर की मूर्ति मे भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की आत्मा का निवास रहता हैं, इसलिए मूर्ति के सिर बाल असली है, और कभी भी उलझे नहीं, बल्कि मुलायम रहते हैं।
मंदिर के गर्भगृह में एक दीपक जलता है, माना जाता है, की यह दीपक कई शताब्दियों से बिना किसी तेल या घी के जलता रहा है। इस बात का रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं ढूंढ पाए हैं
मंदिर में स्थापित प्रतिमा पर कान लगाने से समूद्री लहरों की आवाज़ें आती हैं और मूर्ति में हमेशा नमी बनी रहती है।
भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति काले पत्थर से निर्मित है, लेकिन इसे देखने पर यह एक जीवंत प्रतीत होती है। गर्भगृह का तापमान हमेशा ठंडा रखा जाता है, फिर भी मूर्ति पर पसीने की बूंदें देखी जाती हैं। यह मान्यता है कि भगवान बालाजी को अत्यधिक गर्मी महसूस होती है, जिससे उनकी पीठ भी हमेशा नम रहती है।
जब भक्त गर्भगृह के अंदर से मूर्ति को देखते हैं, तो वह मंदिर के बीच में स्थित दिखाई देती है। लेकिन बाहर से देखने पर यह मूर्ति दाईं ओर झुकी हुई प्रतीत होती है। यह दृश्य प्रभाव मंदिर के अद्वितीय स्थापत्य कौशल का हिस्सा है।
Tirupati Balaji Mandir दर्शन की ड्रेस कोड:
मंदिर में दर्शन के दौरान विशेष ड्रेस कोड का पालन करना आवश्यक है। पुरुषों के लिए धोती या पायजामा-कुर्ता, और महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार-कमीज पहनना आवश्यक होता है। किसी भी प्रकार के असामान्य कपड़े, जैसे जींस, शॉर्ट्स आदि, वर्जित होते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर जाने सही समय – Best time to visit Tirupati Balaji Mandir
तिरुपति बालाजी मंदिर में कई धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं। ये उत्सव मंदिर की भव्यता को और बढ़ाते हैं, लेकिन इस दौरान मंदिर में भारी भीड़ होती है। यह तिरुपति मंदिर का ब्रह्मोत्सवम सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार है, जो 9 दिनों तक चलता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु मंदिर आते हैं। अगर आप भीड़ और उत्सव का आनंद लेना चाहते हैं, तो इस समय यात्रा कर सकते हैं, लेकिन अगर आप शांति से दर्शन करना चाहते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा माना जाता है, जब मौसम सुहावना रहता है।