Tanot Mata Mandir – तनोट माता मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो तनोट राय माता को समर्पित है। इसे देवी हिंगलाज का अवतार माना जाता है, और इसकी स्थापना लगभग 1200 साल पहले हुई थी। यह मंदिर भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित है, और अपने चमत्कारिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। आज यह मंदिर राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थल मे से एक है, मंदिर मे माता की पूजा हमारे देश के सिपाही यानि BSF के जवान करते है। तनोट माता मंदिर धार्मिक आस्था के साथ-साथ युद्ध के समय के चमत्कारिक घटनाओं के लिए भी जाना जाता है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक देवी के दर्शन करने आते हैं।
तनोट माता के मंदिर में किस देवी की मूर्ति है
तनोट माता के मंदिर में मामड़िया चारण की पुत्री देवी आवड़ की मूर्ति है, जिन्हें तनोट माता के नाम से जाना जाता है. माना जाता है की देवी आवड मा हिंगलाज का अवतार माना जाता है। हिंगलाज माता का मुख्य मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है, और तनोट माता को उनके ही रूप में पूजा जाता है।
Tanot Mata Mandir का रहस्य
तनोट माता मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले में स्थित एक प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर है। यह मंदिर ना केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके पीछे छिपे चमत्कारिक और रहस्यमय घटनाओं के कारण भी प्रसिद्ध है। मंदिर का मुख्य आकर्षण यह है कि 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान यहां हजारों बम गिराए गए, लेकिन एक भी बम फटा नहीं। यह घटना आज भी एक रहस्य बनी हुई है और इस चमत्कारिक घटना के कारण तनोट माता को “चमत्कारी देवी” माना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी कहानियों ने इसे एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल बना दिया है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
Tanot Mata Mandir का इतिहास
तनोट माता मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। इसे लगभग 1200 साल पहले स्थापित किया गया था। यह मंदिर तनोट राय माता को समर्पित है, जिन्हें देवी हिंगलाज का अवतार माना जाता है। हिंगलाज माता का प्रमुख मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है। कहा जाता है कि तनोट माता का यह मंदिर एक स्थानीय चारण परिवार द्वारा बनवाया गया था। चारण समुदाय के लोग देवी को अपना कुलदेवी मानते थे और उनकी पूजा करते थे।
Tanot Mata Mandir का महत्व
मंदिर का प्रमुख धार्मिक महत्व 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद और बढ़ गया। 1965 के युद्ध में पाकिस्तान की सेना ने इस क्षेत्र में भारी बमबारी की थी और तनोट माता मंदिर को भी निशाना बनाया था। लेकिन चमत्कारिक रूप से मंदिर के आस-पास गिराए गए करीब 3000 बमों में से एक भी बम नहीं फटा।
इस घटना के बाद सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने इस मंदिर का संरक्षण अपने हाथ में ले लिया। 1971 के युद्ध के दौरान भी यह स्थान पाकिस्तानी सेना के निशाने पर था, लेकिन मंदिर एक बार फिर सुरक्षित रहा। इन चमत्कारिक घटनाओं के कारण मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और भी बढ़ गई और यह धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में उभरकर सामने आया।
Tanot Mata Mandir का स्थान (कहा है?)
तनोट माता मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है। यह मंदिर जैसलमेर शहर से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित है। तनोट गांव, जहां यह मंदिर स्थित है, थार रेगिस्तान के बीचों-बीच स्थित है और यहां का वातावरण पूरी तरह से शुष्क और रेगिस्तानी है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान की सीमा है, जिससे यह स्थान रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
मंदिर का स्थान रेगिस्तानी क्षेत्र में होने के बावजूद यहां तक पहुंचना आसान है, और यह जैसलमेर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। तनोट माता मंदिर अपनी चमत्कारी घटनाओं के साथ-साथ थार रेगिस्तान की अप्रतिम प्राकृतिक सुंदरता के कारण भी प्रसिद्ध है।
Tanot Mata Mandir जाने का सबसे अच्छा समय
तनोट माता मंदिर थार रेगिस्तान में स्थित है, और यहां का वातावरण अधिकांश समय गर्म और शुष्क रहता है। इसीलिए तनोट माता मंदिर जाने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय यहां का तापमान काफी सुहाना रहता है और रेगिस्तान की ठंडी हवाओं का आनंद लिया जा सकता है। गर्मियों में यहां का तापमान बहुत अधिक हो जाता है, जो 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है। इसलिए गर्मी के मौसम में यहां की यात्रा करने से बचना चाहिए।
इसके अलावा, तनोट माता मंदिर में हर साल नवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस समय यहां भक्तों की भीड़ होती है और मंदिर का वातावरण पूरी तरह से धार्मिक और आध्यात्मिक हो जाता है। नवरात्रि के समय यहां आने से आपको देवी के दर्शन और पूजा का विशेष अनुभव प्राप्त हो सकता है।
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तनोट माता मंदिर कैसे जाएं? How to reach Tanot Mata Mandir ?
तनोट माता मंदिर तक पहुँचने के कई साधन हैं, लेकिन यह क्षेत्र थोड़ा दूरस्थ है और सीधी कनेक्टिविटी सीमित है। फिर भी, जैसलमेर से तनोट माता मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं। जैसलमेर राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और यहां सड़क, रेल, और वायु मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। आइए जानते हैं कि आप कैसे तनोट माता मंदिर तक पहुंच सकते हैं:
तनोट माता मंदिर सड़क मार्ग से कैसे जाये :
तनोट माता मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर से तनोट माता मंदिर तक की दूरी लगभग 120 किलोमीटर है, जिसे सड़क मार्ग से आसानी से तय किया जा सकता है। जैसलमेर से नियमित रूप से निजी टैक्सी और कैब सेवाएं उपलब्ध हैं, जो आपको मंदिर तक पहुंचा सकती हैं। आप निजी वाहन से भी यहां आ सकते हैं, क्योंकि सड़क की स्थिति काफी अच्छी है। यात्रा के दौरान आपको थार रेगिस्तान की अद्भुत सुंदरता का आनंद लेने का मौका मिलेगा।
तनोट माता मंदिर रेल मार्ग से कैसे जाये :
यदि आप रेल से यात्रा करना चाहते हैं, तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जैसलमेर है। जैसलमेर रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। जयपुर, दिल्ली, जोधपुर, और बीकानेर से नियमित ट्रेनें जैसलमेर के लिए उपलब्ध हैं। रेलवे स्टेशन से आप सड़क मार्ग द्वारा तनोट माता मंदिर जा सकते हैं।
तनोट माता मंदिर हवाई जहाज से कैसे जाये :
जैसलमेर का अपना एक छोटा घरेलू हवाई अड्डा है, यह हवाई अड्डा भारतीय वायु सेना अंदर आता है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर हवाई अड्डे पर नियमित फ्लाइट्स संचालित होती हैं। हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा तनोट माता मंदिर पहुंचा जा सकता है। जैसलमेर से तनोट माता मंदिर 65 किलोमीटेर दूरी पर है , यहा से टेक्सी के द्वारा लगभग 1-2 घंटे की यात्रा होती है।
Major attractions of Tanot Mata Mandir – तनोट माता मंदिर क्यों इतना प्रसिद्ध है?
Tanot Mata Mandir का चमत्कारी इतिहास
मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण इसका चमत्कारी इतिहास है। 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने इस क्षेत्र पर बमबारी की थी, लेकिन एक भी बम मंदिर के आस-पास फटा नहीं। यह घटना आज भी एक रहस्य बनी हुई है और इसे माता तनोट राय का चमत्कार माना जाता है। इस घटना के बाद से मंदिर की देखरेख सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा की जाती है। मंदिर के अंदर एक संग्रहालय भी है, जहां युद्ध के समय के अवशेष और बमों को रखा गया है। यह संग्रहालय युद्ध के समय की घटनाओं और चमत्कारी घटनाओं की जानकारी प्रदान करता है।
तनोट माता मंदिर का संग्रहालय: Museum of Tanot Mata Mandir
मंदिर परिसर के अंदर स्थित संग्रहालय में भारत-पाकिस्तान युद्ध से संबंधित बम, हथियार और अन्य वस्तुएं रखी गई हैं। यह संग्रहालय तनोट माता के चमत्कारिक इतिहास की गवाही देता है और यहां आने वाले पर्यटकों को युद्ध के समय की घटनाओं के बारे में जानकारी देता है।
बीएसएफ द्वारा संचालित तनोट माता मंदिर – Tanot Mata Mandir operated by BSF
मंदिर का प्रबंधन और देखरेख सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा की जाती है। मंदिर परिसर और इसके आस-पास की सुरक्षा की जिम्मेदारी BSF के हाथ में है। बीएसएफ के जवान मंदिर की देखरेख और वहां आने वाले श्रद्धालुओं की सहायता करते हैं। यह मंदिर और BSF के बीच की साझेदारी भी एक अद्वितीय अनुभव है, क्योंकि भारत में अन्य मंदिरों के मुकाबले यह मंदिर विशेष रूप से एक सैन्य स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
तनोट माता मंदिर भारत-पाक सीमा के निकट:
मंदिर की एक और खास बात यह है कि यह भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित है। तनोट माता मंदिर से 12 किलोमीटेर दूर पाकिस्तान बोडर है, यहां से कुछ ही दूरी पर भारत का आखिरी गाँव स्थित है और इसके बाद पाकिस्तान की सीमा शुरू हो जाती है। पर्यटक यहाँ से लॉन्गेवाला बॉर्डर भी जा सकते हैं, जो 1971 के युद्ध का प्रमुख युद्ध स्थल था। यहां BSF के जवानों से सीमा सुरक्षा के बारे में जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है।
तनोट माता मंदिर के प्रति आस्था और विश्वास
मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की माता तनोट राय के प्रति गहरी आस्था और विश्वास है। लोग मानते हैं कि माता तनोट राय अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। जो लोग माता के चमत्कारिक इतिहास से परिचित हैं, वे यहां आकर अपनी आस्था और विश्वास को और अधिक मजबूत करते हैं। तनोट माता का यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा स्थान है जहां आस्था, इतिहास और चमत्कारिक घटनाएं एक साथ मिलती हैं।
तमोट माता मंदिर की महत्वपूर्ण धार्मिक गतिविधियां
1.तनोट माता मंदिर की नवरात्रि पूजा:Navratri Puja at Tanot Mata Mandir
नवरात्रि के समय तनोट माता मंदिर में विशेष पूजा और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस दौरान मंदिर में भव्य रूप से माता की पूजा की जाती है और यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्रि के समय मंदिर का माहौल पूरी तरह से आध्यात्मिक और धार्मिक हो जाता है।
2. भक्तों द्वारा मन्नतें और चढ़ावे:
मंदिर में आने वाले श्रद्धालु माता के दर्शन करने के साथ-साथ मन्नतें मांगते हैं। श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माता के चरणों में चढ़ावा चढ़ाते हैं। भक्त यहां नारियल, चुनरी, और अन्य वस्तुएं माता को अर्पित करते हैं।
Rajasthan Tourist places in Hindi
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