Salasar Balaji Mandir – आप राजस्थान घूमने गए हैं, ओर राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान के दर्शन करना चाहते है, तो सालासर बालाजी मंदिर के दर्शन करना मत भूलिएगा। सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में स्थित एक प्रसिद्ध ओर प्राचीन धार्मिक स्थल है, जो भगवान हनुमान जी को समर्पित है। इसे स्थान को “सालासर धाम” के नाम से भी जाना जाता है।
भारत देश में बालजी के कई मंदिर हैं, लेकिन यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र है, सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान होने के हरियाणा, पंजाब और दिल्ली ओर भारत के हर कोने से भक्त यहाँ दर्शन करने आते हैं।। यही वजह है कि सालासर बालाजी मंदिर हर साल 15 से 16 लाख भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
भारत में बालाजी के 2 मंदिर सबसे महत्वपूर्ण हैं। एक आंध्रप्रदेश में स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर और दूसरा राजस्थान में स्थित सालासर बालाजी का मंदिर है। इस मंदिर की महिमा अपार है। भगवान हनुमान की लीलाओं का ही परिणाम है कि साल दर साल लोगों की आस्था भगवान हनुमान के प्रति बढ़ती जा रही है।
यह मंदिर अपनी धार्मिक महत्ता, चमत्कारिक कहानियों, अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिकता के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। इस आर्टिकल मे हम आपको राजस्थान के मशहूर Salasar Balaji Mandir का इतिहास और उनकी धार्मिक यात्रा की जानकारी देने वाले हैं।
सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास – Salasar Balaji Mandir ka Itihas
सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास चमत्कारों और दैवीय घटनाओं से भरा हुआ है। इस मंदिर की स्थापना 1754 ईस्वी (विक्रम संवत 1811) में हुई थी। यहा मंदिर बनाने के पीछे की कथा भी बड़ी रोचक है। घटना 1754 की है, जब असोटा गांव का एक किसान अपना खेत जोत रहा था। तभी किसान का हल जमीन मे किसी चीज से टकराया। किसान ने हूल को साइडे मे रख कर हाथ से खोदा तो देखा कि यहां एक चमकीला पत्थर था। किसान ने पत्थर को जमीन से बाहर निकाला, ओर अपने हाथों से साफ किया तो देखा, कि पत्थर पर बालाजी महाराज की आकर्ति बनी है।
किसान यह देख ही रहा था, की उसी समय जाट की पत्नी खाना लेकर आई। किसान की पत्नी ने मूर्ति को साफ पानी से स्नान कराया और देखा तो मूर्ति पर साक्षात दर्शन हो रहे थे । दोनों किसान दंपत्ति ने भगवान को नमन किया। ओर बाजरे के चूरमे का भोग बालाजी को लगाया। तब से लेकर आज तक
सालासर बालाजी मंदिर में चूरमे का ही भोग लगाया जाता है।
खेत मे मूर्ति के प्रकट होने की बात आस पास के कई गांव तक फेल गई। असोटा मे एक हनुमान जी के भक्त मोहनदास रहते थे ,उनके सपने मे हनुमान जी ने दर्शन दिये ओर मूर्ति को सालासर ले जाने के लिए कहा। मोहनदास को बताया बैलगाड़ी से मूर्ति सालासर जाए । जहां बैलगाड़ी अपने आप रूक जाए, वहीं उनकी मूर्ति स्थापित कर दी जाए। सपने में मिले इन आदेश के बाद मोहनदास भगवान की मूर्ति लेकर रावना हो गए, आज जहा वर्तमान मे सालासर बालाजी मंदिर है की मूर्ति को स्थापित कर दिया गया।
Salasar Balaji Mandir ki Vastukala
मंदिर राजस्थान की पारंपरिक वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। मंदिर के निर्माण मे संगमरमर और बलुआ पत्थर से किया गया है। मंदिर का प्रमुख गर्भगृह (मुख्य पूजा स्थल) भगवान हनुमान की मूर्ति का निवास स्थान है। सालासर बालाजी मंदिर की यह मूर्ति एक विशेष “बैठी” मुद्रा में विराजमान हैं, जबकि अधिकांश हनुमान मंदिरों में भगवान को खड़े हुए रूप में दर्शाया जाता है।
मंदिर का निर्माण 1754 में शुरू हुआ था, जिसे पूरा होने में दो साल लगे थे। पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है। सालासर के इस मंदिर मे बालाजी गोल चेहरे और दाढ़ी मूछों के साथ नजर आते हैं। इस लिये यह मंदिर मुछे वाले बालाजी के नाम से भी प्रसिद्ध है। मंदिर के परसिर मे धार्मिक वस्त्र और प्रसाद की दुकानों के साथ-साथ एक विशाल भोजनालय भी है, जहाँ प्रसाद वितरण किया जाता है।
Story of Salasar Balaji Mandir In Hindi
सालासर बालाजी मंदिर की कहानी चमत्कारों और आस्था से परिपूर्ण है। धार्मिक कथा के अनुसार आसोटा गांव में एक किसान अपने खेत की जुताई कर रहा था,तभी किसान का हल जमीन मे किसी वस्तु से टकराया , किसान ने जमीन की खुदाई की तो उन्हे भगवान हनुमान जी की एक मूर्ति मिली। यह मूर्ति किसी सामान्य घटना की तरह नहीं, बल्कि एक दिव्य घटना के रूप में मानी गई। जब यह घटना घटी, संत मोहनदास जी को सपने में भगवान हनुमान ने आदेश दिया कि इस मूर्ति को सालासर में स्थापित किया जाए। इसलिये मोहनदास जी ने इस मूर्ति को सालासर में स्थापित किया और मंदिर का निर्माण कराया।
Importance of Salasar Balaji Mandir In Hindi
धार्मिक दृष्टि से सालासर बालाजी मंदिर अत्यधिक महत्व रखता है। राजस्थान मे स्थित सालासर धाम हनुमान भक्तों के लिए एक तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ आने वाले भक्त यह मानते हैं कि सालासर बालाजी के दर्शन करने से उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। व्यवसायियों और व्यापारियों के लिए यह मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भगवान हनुमान को व्यापार की सफलता और समृद्धि का रक्षक माना जाता है। भक्तगण यहाँ आकर अपने नए व्यवसाय या किसी नए कार्य की शुरुआत का आशीर्वाद लेते हैं।
10 important facts about Salasar Balaji Mandir In Hindi
- सालासर बालाजी मंदिर की स्थापना 1754 ईस्वी (विक्रम संवत 1811) में हुई थी, जब भगवान हनुमान जी की मूर्ति चमत्कारी रूप से आसोटा गाँव में मिली थी।
- इस मंदिर में भगवान हनुमान जी की मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में है, जो अन्य हनुमान मंदिरों में विरले ही देखने को मिलती है।
- सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू जिले के सालासर गाँव में स्थित है और यह शेखावाटी क्षेत्र का हिस्सा है।
- हनुमान जयंती और आश्विन माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यहाँ के सबसे बड़े धार्मिक उत्सव हैं, जिनमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
- हर साल लाखों भक्त मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं, विशेष रूप से राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, और पंजाब से।
- यहाँ प्रसाद के रूप में विशेष रूप से लड्डू चढ़ाए और वितरित किए जाते हैं, जिन्हें भगवान हनुमान जी का आशीर्वाद माना जाता है।
- मंदिर का आँगन बहुत बड़ा है, जहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
- मंदिर में रोज़ सुबह और शाम को भव्य आरती का आयोजन होता है, जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होते हैं।
- मंदिर का ट्रस्ट कई सामाजिक सेवाओं, जैसे कि गरीबों के लिए भोजन और चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करने के कार्य करता है।
- इस मंदिर को “सालासर धाम” के नाम से भी जाना जाता है और यह हनुमान भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, जहाँ लोग अपनी मनोकामनाएँ पूरी होने की प्रार्थना करते हैं।
सलासर बालजी मंदिर के मूंछ-ढाढ़ी वाले हनुमान
राजस्थान के सालासर बालाजी मंदिर देश का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा ढाढ़ी- मूंछ वाली हैं। ढाढ़ी- मूंछ में यहां भगवान की मूर्ति होने के पीछे एक रोचक कहानी है। संत मोहन दास महाराज के सपने मे हनुमान जी मूर्ति आदेश दिया था। उस समय हनुमान जी ने उन्हें साधु के वेश में दर्शन दिएथे । जब मोहन दास महाराज ने हनुमान जी को दाढ़ी-मूंछ में देखा तो उन्होंने दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी की प्रतिमा का ही शृंगार किया। यह वही मूर्ति है, जो अब सालासर मंदिर में विराजमान हैं।
सालासर बालाजी मंदिर में दर्शन का समय क्या है? -Salasar Balaji Mandir Darshan Time
सालासर बालाजी दर्शन समय प्रातः 4 बजे से सुरू हो जाता है, जो दिन भर रहता है । सालासर बालाजी मंदिर भक्तों के लिए सुबह 4 बजे खोल दिया जाता है। यहां मंगल आरती सुबह 5 बजे पुजारियों द्वारा की जाती है। मंदिर मे रात के 10 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। रात के 10 बजे शयन आरती होती है, उसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। फिर अगले दिन भक्त सुबह 4 बजे कर सकते हैं।
Salasar Balaji Mandir VIP Darshan
सालासर मंदिर हनुमान जी माहाराज का बहुत ही प्रसिद्ध ओर प्राचीन मंदिर है, इसलिए हर वक्त भक्तों को भीड़ लगी रहती है। दर्शन के लिए लंबी लाईन में खड़े होकर काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है। अगर आपको से बचना है, तो आप VIP दर्शन भी कर सकते हैं । मंदिर के परिसर मे काउंटर लगे हैं, जहां से आप पर्ची लकेर बिना किसी लाईन के सीधे दर्शन कर सकते हैं।
Tirupati Balaji Mandir का इतिहास
भारत में सालासर बालाजी मंदिर कहां स्थित है? Where is Salasar Balaji Temple located in India?
प्रसिद्ध बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू जिले के सालासर गाँव में स्थित है। यह गाँव शेखावाटी क्षेत्र के आता है, जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। सालासर बालाजी मंदिर जयपुर से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर और बीकानेर से लगभग 210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सालासर बालाजी मंदिर जाने का सही समय
साल के 12 महीने मे सालासर बालजी मंदिर मे दर्शन कर सकते है। लेकिन सालासर बालाजी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है,जब यहाँ का मौसम ठंडा और सुहावना होता है। इन महीनों में राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में तापमान काफी अनुकूल होता है, जिससे यात्रियों को मंदिर के दर्शन और अन्य धार्मिक उसत्व में कोई परेशानी नहीं होती।
अक्तूबर महीने के आस पास सालासर बालजी मंदिर लखी मेला लगता है, इस मेले भारत सभी राज्य से करोड़ों की संख्या मे भक्त पेदल चल कर बालजी के दर्शन करने आते है। यह मेला आसोज माह के शरद पूर्णिमा का लक्खी मेला है, जो Sharadiya Navratri के बाद लगता है। हनुमान भक्त पेदल ही तमाम बाधाओं को चीरते हुए हाथों में ध्वजा लिए सालासर धाम में बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते है।
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खाटूश्यामजी से सालासर बालाजी की दूरी
खाटू श्याम जी मंदिर से सालासर धाम की दूरी लगभग 95 किलोमीटर है।
सालासर बालाजी मंदिर कहा है
सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है।
मेहंदीपुर बालाजी से सालासर बालाजी की दूरी
मेहंदीपुर बालाजी से सालासर बालाजी मंदिर 290 किलोमीटेर की दूरी पर स्थित है।
जयपुर से सालासर बालाजी कितने किलोमीटर है
जयपुर से सालासर बालजी मंदिर लगभग 170 किलोमीटर दूर है।
सालासर बालाजी का प्रसाद क्या है?
श्री बालाजी महाराज को उस किसान ने चूरमे का भोग लगाया गया था, जब खेत से मूर्ति प्रकट हुई थी। इसलिए भक्तों द्वारा आज भी सालासर बालाजी को चूरमे का भोग लगाया जाता है।
सालासर में दर्शन का समय क्या है?
सालासर बालाजी दर्शन समय प्रातः 4 बजे से सुरू होता है , ओर रात के 10 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
Salasar Balaji Mandir
Salasar Balaji Mandir कैसे जाएं?
सालासर गाँव तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग और वायु मार्ग की सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जिससे यह मंदिर देशभर के श्रद्धालुओं के लिए सुगम हो जाता है।
हवाई मार्ग से सालासर बालाजी मंदिर कैसे जाएं
हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो सालासर से लगभग 170 किलोमीटर दूर है। जयपुर से मंदिर तक टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग से सालासर बालाजी मंदिर कैसे जाएं
रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ है, जो सालासर से लगभग 27 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा, लाडनूं रेलवे स्टेशन भी करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर है। ये रेलवे स्टेशन दिल्ली, जयपुर और बीकानेर जैसे प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। वहाँ से टैक्सी या बस द्वारा सालासर पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग से सालासर बालाजी मंदिर कैसे जाएं
सड़क मार्ग: सालासर बालाजी मंदिर सड़क मार्ग द्वारा भी आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह मंदिर दिल्ली (315 किलोमीटर), जयपुर (170 किलोमीटर), बीकानेर (210 किलोमीटर) और जोधपुर (200 किलोमीटर) से अच्छे सड़क मार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। राजस्थान राज्य परिवहन निगम (RSRTC) की नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
Rajasthan Tourist places in Hindi
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