Sharadiya Navratri 2024 : जानें डेट, घटस्थापना मुहूर्त, तिथियां,इतिहास, कथा, महत्व - Tourword

Sharadiya Navratri 2024 : जानें डेट, घटस्थापना मुहूर्त, तिथियां,इतिहास, कथा, महत्व

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Sharadiya Navratri 2024 Know date, Ghatasthapana Muhurta, dates, history, story, importance

Sharadiya Navratri 2024 – नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व है, जो शक्ति, ज्ञान, और भक्ति का प्रतीक हैं। Navratri का शाब्दिक अर्थ है ‘नौ रातें’, और इस पर्व के दौरान श्रद्धालु देवी दुर्गा के विभिन्न अवतारों की पूजा करते हैं। यह त्योहार आध्यात्मिकता, सामाजिकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।

 

Sharadiya Navratri 2024: Know date, Ghatasthapana Muhurta, dates, history, story, importance In Hindi

इस लेख में हम नवरात्रि का इतिहास, इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं, नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान और पूजा, और इस पर्व के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Shardiya Navratri 2024 Date

शारदीय नवरात्रि 2024 की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार से हो रही है और इसका समापन 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार को होगा। यह पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है।

नवरात्रि स्थापना मुहूर्त:Navratri Sthapana Muhurta

Happy Navratri Wishes Messages in Hindi

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। 2024 में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर 2024 को होगा।

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नवरात्रि स्थापना का शुभ समय: Auspicious time of Navratri establishment

नवरात्रि स्थापना का शुभ समय Auspicious time of Navratri establishment
Auspicious time of Navratri establishment
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक
  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 2 अक्टूबर 2024 को रात 9:47 बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त: 3 अक्टूबर 2024 को रात 7:58 बजे

नवरात्रि की प्रमुख तिथियां (नौ दिन):Major dates of Navratri

  1. 3 अक्टूबर: घटस्थापना और शैलपुत्री पूजा
  2. 4 अक्टूबर: ब्रह्मचारिणी पूजा
  3. 5 अक्टूबर: चंद्रघंटा पूजा
  4. 6 अक्टूबर: कूष्मांडा पूजा
  5. 7 अक्टूबर: स्कंदमाता पूजा
  6. 8 अक्टूबर: कात्यायनी पूजा
  7. 9 अक्टूबर: कालरात्रि पूजा
  8. 10 अक्टूबर: महागौरी पूजा
  9. 11 अक्टूबर: दुर्गा पूजा

शारदीय नवरात्रि का इतिहास History of Navratri in Hindi

नवरात्रि का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार मुख्य रूप से शक्ति की पूजा और देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना से संबंधित है। यह माना जाता है कि नवरात्रि का प्रारंभ वैदिक युग से हुआ है, जहाँ देवी को जगत की शक्ति के रूप में पूजा जाता था। हालाँकि, इसे मौजूदा रूप में मनाने की शुरुआत समय के साथ विकसित हुई।

नवरात्रि से जुड़ी मुख्य पौराणिक कथा देवी दुर्गा और महिषासुर के युद्ध से संबंधित है। महिषासुर, एक शक्तिशाली असुर था जिसने देवताओं को परास्त कर स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया था। देवताओं की प्रार्थना पर देवी दुर्गा ने अवतार लिया और नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया।

इतिहासकारों के अनुसार, नवरात्रि का त्योहार प्रारंभ में शक्ति पूजा के रूप में मनाया जाता था, लेकिन समय के साथ विभिन्न पंथों और समाजों ने इसे अपने तरीकों से अपनाया और मनाया। कुछ स्थानों पर इसे खेती के मौसम के प्रारंभ के रूप में भी देखा जाता है, जहाँ लोग फसल के अच्छे उत्पादन के लिए देवी की आराधना करते हैं।

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नवरात्रि की पौराणिक कथा: Mythology of Navratri In Hindi

नवरात्रि की पौराणिक कथा Mythology of Navratri In Hindi
Mythology of Navratri In Hindi

नवरात्रि के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध कथा देवी दुर्गा और महिषासुर के युद्ध से संबंधित है। महिषासुर, एक असुर था, जिसने अपनी कठोर तपस्या से भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि कोई भी देवता उसे पराजित नहीं कर सकेगा। इस वरदान के कारण महिषासुर ने स्वर्ग पर आक्रमण किया और देवताओं को पराजित कर दिया। देवता, अपनी हार से निराश होकर त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के पास गए, जिन्होंने अपनी सामूहिक शक्तियों से देवी दुर्गा का आवाहन किया।

देवी दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक भीषण युद्ध किया और अंततः दसवें दिन महिषासुर का वध किया। इस विजय को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है,। यह कथा शक्ति और साहस का प्रतीक है, जो यह सिखाती है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है, चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो।

Navratri के नौ दिन: देवी के नौ रूपों की पूजा

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इन्हें ‘नवदुर्गा’ कहा जाता है, और हर दिन एक विशिष्ट देवी का पूजन किया जाता है। प्रत्येक देवी का अपना महत्व और पूजा विधि है।

  1. शैलपुत्री: नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह हिमालय की पुत्री और देवी पार्वती का रूप हैं। इनकी पूजा से भक्तों को स्थिरता और शांति प्राप्त होती है।
  2. ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जो तपस्या और संयम की देवी हैं। यह रूप आत्मसंयम और भक्ति का प्रतीक है।
  3. चंद्रघंटा: तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक हैं। यह रूप दुर्गा के युद्ध के रूप में देखा जाता है।
  4. कूष्मांडा: चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जो सृष्टि की रचयिता मानी जाती हैं। यह रूप हमें जीवन की रचना और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक दिखाता है।
  5. स्कंदमाता: पाँचवे दिन स्कंदमाता की पूजा होती है, जो माता पार्वती का एक रूप हैं और भगवान कार्तिकेय की माता मानी जाती हैं। यह रूप वात्सल्य और मातृत्व का प्रतीक है।
  6. कात्यायनी: छठे दिन कात्यायनी की पूजा की जाती है। यह रूप देवी का सबसे युद्धप्रिय रूप है, और यह महिषासुर का वध करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है।
  7. कालरात्रि: सातवें दिन कालरात्रि की पूजा की जाती है। यह देवी का उग्र और विनाशकारी रूप है, जो अज्ञान और अंधकार का नाश करती हैं।
  8. महागौरी: आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है, जो शांति, पवित्रता और ज्ञान की देवी हैं।
  9. सिद्धिदात्री: नौवें और अंतिम दिन सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो सभी सिद्धियों और आध्यात्मिक शक्तियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं।

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नवरात्रि के 9 रात  उपवास और अनुष्ठान: 9 Night Fasts and Rituals of Navratri

नवरात्रि के 9 रात  उपवास और अनुष्ठान 9 Night Fasts and Rituals of Navratri
9 Night Fasts and Rituals of Navratri

Navratri Mai Maa Durga Ke 9 Roop kee Pooja Ka Mahatv

नवरात्रि के दौरान भक्त उपवास रखते हैं और देवी की पूजा में लीन रहते हैं। उपवास का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है, क्योंकि इसे आत्मशुद्धि और संयम का प्रतीक माना जाता है। भक्त विशेष रूप से फल, दूध और हल्के भोजन का सेवन करते हैं और मांस, शराब, प्याज, और लहसुन का परहेज करते हैं। उपवास से शरीर और मन को शुद्ध किया जाता है, जिससे व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति कर सके।

इसके अलावा, हर दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें दुर्गा सप्तशती का पाठ, देवी के विभिन्न रूपों की आरती और भजन शामिल होते हैं। कुछ क्षेत्रों में देवी की मूर्तियों की स्थापना की जाती है और गरबा व डांडिया जैसे नृत्यों का आयोजन होता है, जो विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में लोकप्रिय हैं।

नवरात्रि का सांस्कृतिक महत्व:Cultural significance of Navratri In Hindi

नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि का प्रतीक है।

गुजरात में नवरात्रि: गुजरात में नवरात्रि का त्योहार विशेष रूप से उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। यहाँ गरबा और डांडिया का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर नृत्य करते हैं। गरबा और डांडिया नृत्य नवरात्रि के सांस्कृतिक पहलुओं का हिस्सा हैं, और ये नृत्य देवी दुर्गा की आराधना और उत्सव के रूप में किए जाते हैं।

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा: पश्चिम बंगाल में नवरात्रि को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। यहाँ देवी दुर्गा की विशाल मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं, और बड़े पैमाने पर पंडाल सजाए जाते हैं। लोग दिन-रात देवी की पूजा और भक्ति में लीन रहते हैं, और अंतिम दिन मूर्तियों का विसर्जन होता है।

उत्तर भारत में रामलीला: उत्तर भारत में नवरात्रि के साथ रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें भगवान राम की कथा का मंचन किया जाता है। दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

नवरात्रि का धार्मिक और सामाजिक महत्व: Religious and social importance of Navratri In Hindi 

नवरात्रि धार्मिक और सामाजिक का बहुत महत्व है, क्योंकि यह देवी शक्ति की आराधना का पर्व है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में शक्ति, संयम, और भक्ति का कितना महत्व है। सामाजिक दृष्टिकोण से भी नवरात्रि महत्वपूर्ण है। यह पर्व परिवार और समाज को एकजुट करने का माध्यम बनता है, जहाँ लोग सामूहिक रूप से पूजा, भजन, और नृत्य करते हैं। यह पर्व नारी शक्ति का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का आयोजन भी होता है, जिसमें कन्याओं को देवी का रूप माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

Navratri भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का एक अनूठा संगम है। यह पर्व देवी माँ दुर्गा की आराधना और समाजिक एकता का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान देवी माँ के नौ रूपों की पूजा से हमें जीवन के हर पहलू में शक्ति, संयम, और साहस का संदेश मिलता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य, धर्म, और शक्ति की हमेशा जीत होती है।

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My Name is Sunil Saini and I live in Jaipur. I am very Fond of Traveling And Seeing New Places. That's why I Started Blogging in 2018

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