Nalanda university history – दुनिया को 700 साल तक ज्ञान देता रहा नालंदा विश्वविद्यालय
Nalanda University History : क्या आप जानते है , सेंकड़ों साल पहले नफरत की भेट चडी Nalanda University को अब नव किया जा राहा है, जी हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा Nalanda University New Campus का उद्घाटन किया। सदियों बाद नालंदा विश्वविद्यालय को आज अपनी पहचान मिली है। क्या आप उस नालंदा यूनिवर्सिटी को जानते हैं जिसके टक्कर मे दुनिया मे कोई दूसरी यूनिवर्सिटी आज तक नहीं बन सकी।
नालंदा भारत में प्राचीन साम्राज्य मगध (आज के बिहार) में एक बड़ा नालंदा विश्वविद्यालय था। यह Nalanda University पटना के लगभग 95 किलोमीटर दक्षिणपूर्व में स्थित है, और पांचवीं शताब्दी सीई से 1200 सीई तक शिक्षा गर्हण का मुख्य केंद्र था। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास: Nalanda university history in hindi
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास सेंकड़ों साल पुराना है, आज भारत के कॉलेज और विश्वविद्यालय भले ही विश्व के टॉप शैक्षणिक संस्थापनों में शामिल न हो, लेकिन एक समय जब भारत देश का नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। उस जमाने मे भारत में दुनिया का पहला विश्वविद्यालय था, जहां दुनिया के हर देश से लोग शिक्षा गर्हण करने आते थे, जिसे हम नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) के नाम से जानते हैं। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में हुई थी। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केंद्र था।
Nalanda university history
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. मे सम्राट कुमारगुप्त ने की थी। ओर उसके बाद हर्षवर्धन और पाल शासकों ने इसे संरक्षण दिया। नालंदा विश्वविद्यालय की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि उस जमाने मे नालंदा विश्वविद्यालय मे 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था। पुस्तकालय में 90 लाख से ज्यादा किताबें थीं।
10 हजार से अधिक छात्रों को पढ़ाते थे 1500 से अधिक शिक्षक
नालंदा विश्वविद्यालय में उस प्राचीन समय मे भी 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते थे। सबसे बड़ी बात यह है कि नालंदा विश्वविद्यालय केम्पस मे शिक्षा, रहना और खाना सभी निःशुल्क था। इस नालंदा विश्वविद्यालय मे भारत ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया जैसे देशों के भी छात्र भी पढ़ने के लिए आते थे। इन 10 हजार छात्रों को पढ़ाने के लिए 1500 से ज्यादा शिक्षक थे। छात्रों का चयन उनकी मेधा पर किया जाता था।
नालंदा विश्वविद्यालय को ज्ञान को भंडार कहा जाता है
दुनिया में नालंदा विश्वविद्यालय को ज्ञान का भंडार कहा जाता रहा है। इस विश्वविद्यालय में धार्मिक ग्रंथ, लिट्रेचर, थियोलॉजी,लॉजिक, मेडिसिन, फिलोसॉफी, एस्ट्रोनॉमी जैसे कई विषयों की पढ़ाई होती थी। उस समय जिन विषयों की पढ़ाई यहां पर होती थी, वो कहीं भी नहीं पढ़ाए जाते थे। 700 साल तक यह विश्वविद्यालय दुनिया के लिए ज्ञान का मार्ग दर्शन कर रहा था। 700 साल की लंबी यात्रा के बाद 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने इसे जला दिया था।
खिलजी ने क्यों जला दिया था विश्वविद्यालय
नालंदा विश्वविद्यालय में 1193 तक पढ़ाई होती थी। तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी और उसके सैनिकों को लगता था कि विश्वविद्यालय शिक्षाएं इस्लाम के लिए चुनौती हैं। इसलिए बख्तियार खिलजी ने इस पर हमला कर दिया। उसने पूरे विश्वविद्यालय को तबाह कर दिया। उस समय विश्वविद्यालय की नौ मंजिला लाइब्रेरी में करीब 90 लाख किताबें और पांडुलिपियां थीं। लाइब्रेरी में आग लगाने के बाद यह तीन महीने तक जलती रही।
नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में 10 रोचक तथ्य- 10 interesting facts about Nalanda University-
1. नालंदा विश्वविद्यालय कला का एक अद्भुत नमूना है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस विश्वविद्यालय परिसर में 300 कमरे 7 विसाल बड़े-बड़े कक्ष था और छात्रों के अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था। जहां साथ एक हजार से भी अधिक छात्र अध्ययन कर सकते थे।
2. नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है। वहीं, यह दुनिया का आवासीय परिसर के तौर पर यह पहला विश्वविद्यालय है, जो 10 हजार छात्र अध्ययन करते थे, यह विश्वविद्यालय 800 साल तक अस्तित्व में रह था,
3. इस विश्वविद्यालय में एक समय में 10 हजार से ज्यादा विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे, और 1500 से ज्यादा अध्यापक उन्हें यहाँ शिक्षा देते थे।
4. विश्वविद्यालय में छात्रों का चयन मेरिट के आधार पर होता था और नालंदा विश्वविद्यालय मे छात्रों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी। इसके साथ उनका रहना और खाना भी पूरी तरह निःशुल्क होता था।
5. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने 5वीं शताब्दी में की थी। विश्वविद्यालय को महान सम्राट हर्षवर्द्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला। नालंदा में खुदाई के दौरान के दोरान साक्ष्य मिले हैं, जिससे यह बात साबित होती है।
6. नालंदा विश्वविद्यालय में सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया समेत कई दूसरे देशो के छात्र भी पढ़ाई के लिए आते थे।
7. नालंदा विश्वविद्यालय में एक 9 मंजिला लाइब्रेरी थी। लाइब्रेरी के 9 मंजिलों में तीन भाग थे, जिनके नाम ‘रत्नरंजक’, ‘रत्नोदधि’, और ‘रत्नसागर’ थे।
8. इस विश्वविद्यालय में कई महान विद्वानों ने पढ़ाई की थी, जिसमें मुख्य रूप से हर्षवर्धन, धर्मपाल, वसुबन्धु, धर्मकीर्ति, आर्यवेद, नागार्जुन का नाम शामिल हैं।
9. नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रों को लिटरेचर, एस्ट्रोलॉजी, साइकोलॉजी, लॉ, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, वारफेयर, इतिहास, मैथ्स, आर्किटेक्टर, लैंग्वेज साइंस, इकोनॉमिक, मेडिसिन समेत कई विषयों को पढ़ाया जाता था।
10. नालंदा शब्द संस्कृत के तीन शब्द ना +आलम +दा के संधि-विच्छेद से बना है। इसका अर्थ ‘ज्ञान रूपी उपहार पर कोई प्रतिबंध न रखना’ से है।
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