Mount Abu Tourist Places in Hindi – माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन हैं और विश्व भर में राजस्थान का प्रसिद्ध एक पर्यटक स्थल है। जहा देश -विदेश से लोग यहां की सुंदरता को देखने आते है। राजस्थान में पर्यटन की दृष्टि से माउंट आबू एक बहुत प्यारा स्थान है जहा हर साल लाखों की संख्या में वहा घूमने के लिए आते है।
भारत के राज्यो में राजस्थान सब से बड़ा राज्य माना जाता है। राजस्थान का इतिहास आज विश्व भर में जाना जाता है । क्यों की ये राजस्थान की भूमि पर बहुत सारे वीर पैदा हुए। और राजस्थान के वीरों ने यहां अपने समय में बहुत से किले बनवाए । जो कि आज देश-विदेश में पर्यटकों के लिए घूमने हेतु बहुत मनोरम माना जाता है। उसके साथ राजस्थान की भूमि पर ऐसी बहुत सारी जगह है।
Mount Abu Me Ghumne ki Jagah । Mount Abu Tourist Places in Hindi
माउंट आबू राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र के सिरोही जिले में अरावली की पहाड़ियों की सबसे विशाल ऊंची चोटी पर स्थित है। प्राचीन काल में राजा महाराजाओं की पसंदीदा जगह हुआ करती थी। ये जगह राजा महाराजाओं के विश्राम करने के लिए सबसे श्रेष्ठ स्थान माना जाता था। क्यों कि यहां का पर्यावरण बहुत ही सुहाना तथा मन को प्रफुल्लित करने वाला माना जाता है। माउंट आबू राजस्थान के 328 वर्ग किलोमीटर भूभाग पर फैला हुआ है। माउंट आबू समुद्री सतह से 1219 मीटर औसत ऊंचाई पर खड़ा है।
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माउंट आबू में क्या क्या प्रसिद्ध है? What is famous in Mount Abu?
यहां की धरती प्राक़तिक रूप से बहुत सुंदर है। यह जगह बहुत सारी पहाड़िया और वनो से गिरा हुआ सुंदर क्षेत्र है। ये क्षेत्र बहुत ही सुन्दर वनों और पहाड़ियों एवं झीलों वाला है जो सभी पर्यटकों के मन को भाता है। इस क्षेत्र का आकार शंकवा व ढलवा है। जो कि वनस्पतियों और हरियाली से हरा – भरा है। नीलगिरी पहाड़ियों पर स्थित माउंट आबू बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेसन है।
माउंट आबू घूमने कैसे जाये – How to visit Mount Abu
माउंट आबू देश के प्रमुख महानगरों ओर शहरों के मुख्य मार्गो से भली – भांति जुड़ा है। उदयपुर से 185 किलोमीटर ,डबौक से 210 किलोमीटर , जयपुर से 505 किलोमीटर , जैसलमर से 620 किलोमीटर , दिल्ली से 750 किलोमीटर और मुम्बई से 765 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
माउंट आबू आने-जाने हेतु यहां महाराणा प्रताप हवाई अडडा का निर्वाण किया गया है जो की डबोक में 210 किलोमीटर है। तथा आबू रोड पर रेलवे स्टेशन का निर्वाण लोगों की सुविधा के लिए मुहैया करयाई गई हैं। और अन्य सुविधाएं भी वहा पाई जाती है जैसे स्थानीय बस , ऑटो रिक्शा ,साइकिल रिक्शा आदि की वाहनों की सेवाएं पाई जाती है।
माउंट आबू जाने का सबसे सही समय – Best time to visit Mount Abu
माउंट आबू जाने के लिए उचित समय फरवरी से जून एवं सितंबर से दिसंबर तक का माना जाता है क्यों की उस समय वहा की जलवायु लोगों के दिलो को बहुत भाती है। क्यों की राजस्थान में अन्य स्थानों की जगह माउंट आबू का मौसम सुखद ऑर सुंदर होता है।
माउंट आबू की प्रसिद्ध चीज क्या है?
यहां आने वाले पर्यटकों के देखने योग्य बहुत सारे तीर्थ ओर पर्यटन स्थल है, जो दुनिया भर मे काफी लोकप्रिय है, जेसे मनभावन दिलवाड़ा जैन मंदिर , नक्की झील , गोमुख मंदिर , अर्बुदा देवी मंदिर , अचलगढ़ किलो , माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य , गुरु शिखर और पहाड़ियों का बहुत ही सुन्दर स्वरूप देखने को मिलता है। राजस्थान में अन्य राज्यो की जगह यहां के लोग बहुत धार्मिक माने जाते है।
राजस्थान का प्रसिद्ध एक पर्यटक
Gomukh Temple Mount Abu Tourist Places in Hind
गोमुख मन्दिर परिसर में गाय की एक मूर्ति है जिसके सर के उपर से एक जल धारा प्राक़तिक रूप से बहती है इसलिए इसे गोमुख मंदिर के नाम से ये मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। और यहां पर वरिष्ठ नामक संत हुए थे जिन्होंने इस स्थान पर यज्ञ का आयोजन करवाया। इस मंदिर में अर्बुआदा सर्प की बहुत बड़ी मूर्ति है और संगमरमर से बनी नंदी की प्रतिमा है जो पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।ये अरावली रेंज की सबसे ऊंचे शिखर पर स्थित है।माउंट आबू से इसकी दूरी 15 किलोमीटर है। समुंद्री सतह से इसकी ऊंचाई 1722 मीटर ऊपर है।
Guru Shikhar Mount Abu Me Ghumne ki Jagah
गुरु शिखर जाने के लिए 15 किलोमीटर वाहनों की सहायता लेने के बाद चोटी पर जाने के लिए सीढ़ियां पर करनी पड़ती है। गुरु शिखर का सफर पैदल करने के बहुत सारे फायदे है जैसे सूर्य उदय के समय वहा का दृश्य बहुत ही मनभावन लगता है।वहा की दुकानों की साज – सजावट लोगों को आकर्षित करती है बाजार में मिलने वाली सभी चीज़े पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। यहां खाने- पीने की बहुत अच्छी सुविधा है आपको किसी भी समय सभी प्रकार की सेवाएं वहा के लोगों द्वारा दी जाती है।यहां पर्यटकों के फोटोग्राफ खींचवाने के लिए बहुत सारी मूर्तियां एवं स्टेचू बने हुए है जिनके साथ पर्यटक फोटोज खिचवाते है।
यहां बने दत्तात्रेय मंदिर के दर्शन करने को बहुत अच्छा माना जाता है क्यों की ये मंदिर ब्रम्हा विष्णु और महादेव के अवतार स्वरूप माना जाता है। गुरु शिखर की चोटी पर एक बहुत बड़े आकार का एक घंटा लगा हुआ है जिसे सभी पर्यटक बजाते है तो इसकी ध्वनि दूर – दूर तक जाती है।जो की लोगों को ये नज़ारा बहुत आनंददायक लगता है।यहां के लोगों का जनजीवन राजस्थान के दूसरे शहरों से काफी अच्छा है ।
प्राचीनकाल से माउंट आबू राजा महाराजाओं का प्रमुख मुख्यालय रहा है। इस जगह अंग्रेजो का भी कब्जा रहा । इस क्षेत्र के आस – पास सबसे अधिक गुजारो का निवास हुआ करता था। माउंट आबू के इतिहास में गुजरो और अर्बंदा पहाड़ियों का उल्लेख मिलता हैं।राजस्थान और गुजरात पर बहुत सालों तक अधिपत्य रहा इसलिए इसे क्षेत्र को राजपूताना के नाम से भी जाना जाता है।
Nakkee Jheel Mount Abu Tourist Places in Hind
नक्की झील माउंट आबू के आसपास का बहुत खूबसूरत स्थल है यह शांत और रोमांटिक वातावरण है। पहाडियो के बीच में बनी और राजस्थान की सबसे ऊंची झील है। इसका बहुत ही मीठा है। और ये पर्यटकों को देखने में बहुत सुंदर लगती है। सर्दियों में इसके उपर बर्फ की सतह भी देखने को मिलती है। लोगों की धारणा मानी जाती है कि इस झील को खुद देवताओं ने अपने नाखूनों से कुरेदकर इस झील को बनाया था।इसलिए इस झील को नक्की झील कहा जाने लगा ।
इस झील के चारो ओर पहाड़िया और वनस्पतियों का दृश्य पर्यटकों के दिलो को बहुत सुहावना लगता है। सूर्य उदय एवं सूर्य अस्त के समय आसमान रंग बदलता नजर आता है ये दृश्य पर्यटकों को बहुत अच्छा लगता है और यहां के हरे – भरे मैदान अपनी ओर लोगों को आकर्षित करते है। चारो तरफ पहाड़ियों से गिरे हुए ये मैदानी क्षेत्र पर्यटकों को अपनी ओर खींचते है।
Nakkee Jheel Mount Abu Me Ghumne ki Jagah
नक्की झील में पर्यटकों के मनोरंजन के लिए पानी में घूमने के लिए नाव का भी इंतजाम किया गया है। इस झील में लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग स्नान करने भी आते है। धार्मिक विचार धारा के अनुसार इस दिन झील में स्नान करने को शुभ माना जाता है। झील में एक ऐसे टापू का निर्माण कराया गया है जिसमें 70 अश्वशक्ति का प्रयोग किया है जिसे इस में लगे फव्वारे अलग – अलग रंगों में परिवर्तित होते है।ओर इनकी धाराएं 80 फूट उपर जाती है ये सब नज़ारे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है।
झील के किनारे पर एक बहुत ही सुन्दर बगीचा बना हुआ है जिसमें बहुत ही प्यारे और सुंदर पेड़ – पौधे लगे है और सुबह ओर शाम को यहां लोगों की भीड़ जमा हो जाती है। सभी लोग वहा के नज़ारे का लुप्त उठाते है।झील के पास बनी दुकानों में राजस्थानी सामानों को लोग खरीदना पसंद करते है तथा यहां पर संगमरमर से बनी मूर्तियों की शिल्पकारी लोगों को बहुत अच्छी लगती है।ओर औरतों के लिए सूती एवं गोटे की डिज़ाइन की साडिया भी अलग अलग रंगों की मिलती है। ओर यहां चांदी कि चीज़े भी लोगों में लोकप्रिय है।
माउंट आबू ,वन्यजीव अभयारण्य
वन्यजीव अभयारण्य माउंट आबू का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। यहाँ मुख्य रूप से तेंदुए, स्लोथबियर, वाइल्ड बोर, साँभर, चिंकारा और लंगूर पाए जाते हैं। 288 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य की स्थापना 1170 में की गई थी। यहाँ पक्षियों की लगभग २५० और पौधों की 115 से ज्यादा प्रजातियां देखी जा सकती हैं। पक्षियों में रुचि रखने वालों के लिए उपयुक्त जगह है।
राजस्थान की धरती केवल महलों ओर किलो से ही नहीं बल्कि यहां का वन्य जीवन भी पूरे भारत वर्ष में जाना जाता है। जगलो एवं जंगली जानवरो का शोक रखने वाले लोगों को यहां का पर्यावरण बहुत लुभाता है। इस अभयारण्य का संचालन 1990 में किया गया । माउंट आबू घूमने आए पर्यटक इस अभयारण्य को भी जरूर देखने जाते है।क्यों की यहां पर बहुत सारी वनस्पतियों और जंगली जानवर देखने को मिलते है।
जिन लोगों को प्राक़तिक सौंदर्य देखने का बहुत अच्छा लगता है वे लोग यहां आकर बहुत आनंद लेते है। यहां पर अलग – अलग प्रजाति के पेड़ – पौधे एवं वनस्पति देखने को मिलती है। पौधों की 820 प्रजाति , 81 से ज्यादा पेड़ो कि प्रजाति , 17 प्रकार औषधीय वनस्पतियों ओर 89 प्रकार की झाड़ियों की प्रजाति यहां मौजूद है। पक्षियों की प्रजातियां की संख्या 250 तक पाई जाती हैं और पौधों की 110 पाई जाती है।
पक्षियों ओर जानवरो से प्यार करने वालो के लिए ये एक बेहतरीन जगह मानी जाती है। इस अभयारण्य में मुख्य रूप से को जानवर देखने को मिलते है जैसे -तेंदुआ , मोर , स्लोथ बियर , सांभर , चिंकारा , जंगली सूअर , नीलगाय , खरगोश , जंगली मुर्गा , तीतर ओर लंगूर आदि प्रजातियां पाई जाती है।
दिलवाड़ा जैन मंदिर माउंट आबू – Dilwara Jain Temple Mount Abu In Hindi
दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्वाण चालुक्य वंश ने 11 विं से 13 ई. शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर कि बाहरी हिस्से देखने में बिल्कुल साधारण लगते है लेकिन इसके अंदर के भाग इतने सुन्दर है जो पर्यटकों को भाते है।इसके प्रवेश द्वार पर लगे बेहतरीन वास्तु कलाओ से की गई सजावट सौंदर्य का प्रतीक है।इस मंदिर के सभी भागो में छत , द्वार , स्तंभ ओर पैनल पर अद्भुत कलारिया की गई है जो की वास्तु कला का सुंदर उदाहरण है।
प्राचीन कला कृतियों का समूहों का संग्रह यहां मिलता है और एक ही आकर से बने पांच मंदिर है।ये सब एकल मंजिला पर ही बने हुए है और इसमें 48 स्तंभ बने हुए है जिन पर महिलाओं के नृत्य करती हुए मुद्राएं के चित्र बने है।
दिलवाड़ा जैन मंदिर Mount Abu Me Ghumne ki Jagah
गुम्बद की छत यहां का सबसे आकर्षण वाला हिस्सा है इसे रंगा मंडप भी कहते है । जैन धर्म के लोगो के लिए मंदिर का समय सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक का होता है और अन्य लोगो के लिए दोपहर 12 बजे से शाम 6 बजे तक का होता है। इस मंदिर में किसी भी व्यक्ति या पर्यटक को छायाचित्र खींचने की अनुमति नहीं है। दिलवाड़ा मंदिर के दर्शन करने के लिए कोई चार्ज नहीं लगता है। इसमें बने 5 मंदिरों के अलग – अलग नाम है जैसे -विमल , वसाही , लूना वसाही , पित्तलहर , पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी मंदिर ।
अचलगढ़ का किला का इतिहास, Achalgarh Fort History in Hindi
दिलवाड़ा जैन से 8 किलोमीटर उत्तर पूर्व में यह क़िला और मंदिर स्थित हैं। राजस्थान में माउंट आबू में अचलगढ़ के किले (Achalgarh Qila) का इतिहास 14 वी शताब्दी से शुरू होता है, इतिहासकारो के अनुसार इसे सबसे पहले परमार राजाओ ने बनवाया था मगर युद्ध और अन्य कारणों से किला कुछ कमजोर हो गया था इसलिए 1452 में मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया और इसका नामाकरण भी किया, उनके दिए नाम अचलगढ़ के किले से ही हम आज तक इस किले को जानते आये है।
इस किले में 2 दरवाजे है इक किले के बहरी परिसर में प्रवेश के लिए और दूसरा आंतरिक परिसर प्रवेश के लिए, किले के अंदर ही अचलेश्वर महादेव का मंदिर है, इसके अंदर एक जैन मंदिर भी है जो सम्भवतया 1513 में बनवाया गया था, भारत सरकार की देख रेख में आने से पहले यह मेवाड़ राज्य की देखरेख में था।
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