Jhansi Fort: जाने रानी लक्ष्मी बाई के झांसी किले का इतिहास
Jhansi Fort यह उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में स्थित, भारत के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। झाँसी का किला एक चट्टानी पहाड़ी के ऊपर स्थित है। इस किले के चारो ओर झाँसी शहर बसा हुआ है। दुनिया भर मे यह किला भारतीय इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई की वीरता के लिए जाना जाता है। जो आज भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, जहा हर साल लाखों पर्यटक इस किले के इतिहास को एहसास करने आते है। आइए, इस लेख में झांसी किले का इतिहास, वास्तुकला ओर इसके अंदर घूमने की जगहें पर विस्तार से चर्चा करें।
Jhansi Fort Introduction In Hindi
झांसी का किला वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाता है, जिसे रानी लक्ष्मीबाई का किला भी कहा जाता है। यह किला लक्ष्मीबाई के साहस और बलिदान की कहानी को बयां करता है, जो भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। अंग्रेजो के खिलाफ इस युद्ध मे लड़ते हुए 18 जून 1858 (29 वर्ष की उम्र में) को अपने प्राणों का वलिदान कर दिया। झांसी का किला भारत की वीरता, वास्तुकला और भारतीय संस्कृति की गहराई को भी दर्शाता है। किले की अद्भुत स्थापत्य कला और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
Jhansi Fort History In Hindi
इस किले का निर्माण 1613 ईस्वी में बुंदेला राजपूत राजा वीर सिंह जूदेव ने करवाया था। यह किला बेतवा और पहूंज नदियों के किनारे स्थित है और रणनीतिक रूप से इसे ऊँची पहाड़ी पर बनाया गया है, जिससे दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। संन 1757 में, किले का नियंत्रण मराठा शासकों के पास चला गया। झांसी के इस किले का सबसे प्रसिद्ध अध्याय 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है।
जब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अन्याय के खिलाफ अंग्रेजों की विशाल ओर आधुनिक सेना से डट कर लड़ी ओर अपने अद्भुत साहस ओर अद्वितीय वीरता का प्रदर्शन किया। रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी और बलिदान ने इस किले को भारतीय इतिहास में अमर बना दिया। किले का यह इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक के रूप में आज भी लोगों को प्रेरित करता है ।
Features of Jhansi Fort In Hindi
किले का मुख्य द्वार को दर्शन द्वार कहा जाता है। यह से पर्यटक इंट्री करते है, यह विशाल द्वार अपनी उन्नत नक्काशी और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। इस किले के अंदर एक विशाल महल है, जिसे पंच महल कहते है, यह राजा और रानी के रहने का मुख्य स्थान था। यह महल पाँच मंजिला है और यहाँ से पूरे झांसी शहर का मनमोहक दृश्य देखा जा सकता है।
बारादरी यह स्थान विशेष रूप से सभाएँ और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इसकी छत और खंभों पर की गई नक्काशी इसे आकर्षक बनाती है। किले के एक तोपखाना भी है, जहा किले में कई तोपें रखी गई है, जिनमें से काली तोप और भवानी शंकर तोप प्रमुख हैं। इन तोपों का उपयोग रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ किया था।
Jhansi Fort Architecture In Hindi
झांसी किले की वास्तुकला बुंदेलखंड शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। किले की दीवारें मजबूत और ऊँची हैं, जो इसे एक दुर्गम किले के रूप में प्रस्तुत करती हैं। इस किले की दीवारें ग्रेनाइट 16 से 20 फीट मोटी हैं और दक्षिण की तरफ शहर की दीवारों से मिलती हैं। किले में प्रवेश करने के लिए 10 द्वार बने हुए है। इन द्वारो का नाम उन्नाव गेट, ओरछा गेट, बड़गांव गेट, लक्ष्मी गेट, खंडेराव गेट, दतिया दरवाजा, सागर गेट, सैनिक गेट और चांद गेट हैं। किले की संरचना इस प्रकार तैयार की गई थी कि यह दुश्मनों के आक्रमण से सुरक्षित रह सके।
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Biography of Rani Laxmibai of Jhansi in Hindi
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका असली नाम मणिकर्णिका था, उनका का बचपन देशभक्ति माहौल में गुजरा। साल 1842 में झांसी केमहाराजा गंगाधर राव से मणिकर्णिका का विवाह हो गया। विवाह के बाद वे झांसी की रानी बन गईं ओर रानी लक्ष्मीबाई के पहचाने जाने लगी। विवाह के बाद साल 1853 में महाराजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी।
पति की मृत्यु के बाद लक्ष्मीबाई ने झांसी की रानी के रूप में शासन संभाला। अपने शासनकाल में, उन्होंने झांसी के प्रशासन और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई काम किए। लेकिन उनके पति की मौत के बाद, झांसी की रानी को अंग्रेजों के खिलाफ अपने राज्य की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने अपने पति की इच्छा के अनुसार झांसी को एक स्वतंत्र और शक्तिशाली राज्य बनाने की कोशिश की।
ब्रिटिश सरकार ने लक्ष्मीबाई को झांसी का कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में उसे स्वीकार नहीं किया था। उस समय गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी एक बहुत ही शातिर इंसान था। वह झांसी के ऊपर कब्जा करना चाहते थे। परंतु झांसी की रानी किसी भी हाल में अपनी रियासत को ब्रिटिश सरकार मे शामिल करना नहीं चाहती थी। झांसी की रक्षा करने के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी सेना को तैयार किया। साल 1858 मे 23 मार्च को झांसी की लड़ाई शुरू हो गई थी। अपनी सेना के साथ मिलकर झांसी को बचाने के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सरकार की आधुनिक से लड़ाई लड़ी थी।
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झाँसी में घुमने की जगह –Jhansi tourist places in hindi
झाँसी का किला एक आकर्षण ऐतिहासिक विरासत हैं। जो झासी का प्रमुख पर्यटन स्थल है, झांसी मे घूमने के लिए बहुत सारी जगह है, जेसे झाँसी का हर्बल गार्डन, रानी लक्ष्मी बाई पार्क, झाँसी रानी महल आप परिछा का घूम सकते हैं, जो एक सुन्दर बांध है। झाँसी में घुमने के लिए अनेक पर्यटन स्थल हैं, जिसमें महाराजा गंगाधर राव की छतरी, गणेश मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर शामिल हैं।
हर्बल गार्डन Jhansi मे घुमने की जगह
झाँसी का हर्बल गार्डन बहुत ही सुहानी जगह है, झाँसी का हर्बल गार्डन में 20000 अलग-अलग पेड़-पौधे हरा भरा रहता है। यहा आने वाले सभी उम्र के पर्यटकों के लिए सुखद अनुभव का एहसास होता है। सेलानियो और फोटूग्राफर के लिए ये जगह बहुत ही लोकप्रिय है। यदि आप झाँसी हर्बल गार्डन की सैर करने का अवसर मिलता है तो कभी भूल नहीं पाओगे। टाइगर प्रॉल के नाम से लोकप्रिय अपने आप को फिर से जीवंत करने के लिए एक सुखद अनुभव है।
रानी लक्ष्मी बाई पार्क Jhansi मे घुमने की जगह
रानी लक्ष्मी बाई पार्क झाँसी का एक खुबसूरत पार्क है, ये पार्क यहाँ के वासिंदो के साथ यहा आने वाले विदेशी पर्यटकों की भी लोकप्रिय है। शाम होने के साथ ही यह पार्क रंग-बिरंगी रौशनीयों से जगमगा जाता है। शाम होते ही रानी लक्ष्मी बाई पार्क घुमने वाले वालो की भीड़ लग जाती है, जिससे इस स्थान पर परम सौंदर्य की अनुभूति होती है। रानी लक्ष्मी बाई पार्क में अपने प्रियजनों और परिवार के साथ गुमने जा सकते है।
रानी महल Jhansi मे घुमने की जगह
रानी महल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के झाँसी का शाही महल है। इस महल का निर्माण नेवलकर परिवार के रघुनाथ दिवतीय ने करवाया था। रानी महल को बाद में रानी लक्ष्मीबाई के लिए एक निवास स्थान बनाया गया। वास्तुकला की दृष्टि से यह महल एक सपाट दो मंजिला इमारत है। इस महल मे एक कुआँ और एक फव्वारा है। महल में छह हाल, एक गलियारा भी हैं।
महालक्ष्मी मंदिर Jhansi मे घूमने की जगह
झाँसी का महालक्ष्मी मंदिर यहा का एकएतिहासिक प्राचीन मंदिर है जो देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। महालक्ष्मी मंदिर झाँसी के अन्य पर्यटक स्थलों में से एक महत्वपूर्ण स्थल है। झाँसी का यह पवित्र मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। झाँसी घूमने आने वाले पर्यटक महालक्ष्मी मंदिर आकर देवी माँ के दर्शन जरुर करते है, यहाँ सन्ति प्राप्त होती है।
महाराज गंगाधर राव की छत्री Jhansi मे घुमने की जगह
यह छत्री झाँसी के महाराजा गंगाधर राव को समर्पित है। इस छत्री का निर्माण उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई के द्वारा ही करवाया गया था। गंगाधर राव झाँसी के राजा होने के साथ-साथ लक्ष्मी बाई के पति भी थे। महाराज गंगाधर राव की छत्री झाँसी के प्राचीन स्मारकों में से एक है और यह छत्री झाँसी आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षणकरती है।
परिछा बाँध Jhansi मे घूमने की जगह
परिछा झाँसी के महत्वपूर्ण स्थानों से है। जो बेतवा नदी के ऊपर बनाया गया एक बाँध का नाम है, परिछा झाँसी शहर से 25 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह बाँध पानी के खेलों के लिए लोकप्रिय है विशेष रूप से उनके लिए जिन्हें बोटिंग बहुत की जाती है। ये झाँसी राजमार्ग पर स्थित है। परिछा थर्मल पावर स्टेशन के कारण यह स्थान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सी.आई.एस.एफ) के अंतर्गत आता है।
झांसी किले में जाने का समय और प्रवेश शुल्क
- खुलने का समय:
झांसी का किला सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है। - प्रवेश शुल्क:
भारतीय नागरिकों के लिए 25 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 300 रुपये।
How to reach Jhansi Fort In Hindi
झांसी शहर भारत के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। झांसी की दिल्ली से दूरी लगभग 450 किलोमीटर है, ओर लखनऊ से दूरी: लगभग 300 किलोमीटर है। झांसी रेलवे स्टेशन, भारत रेलवे जंक्शन का एक हिसा है। यहाँ देश के लगभग सभी हिस्सों से ट्रेनें आती हैं। रेलवे स्टेशन से किला मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। झांसी के सबसे नजदीकी हवाई अड्डे ग्वालियर (100 किलोमीटर) और खजुराहो (175 किलोमीटर) हैं। यहां से सड़क मार्ग द्वारा झांसी पहुँचा जा सकता है।
निष्कर्ष
Jhansi Fort ना केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि भारतीय इतिहास का गौरवशाली प्रतीक है। यह किला रानी लक्ष्मीबाई के साहस, बलिदान, और देशभक्ति की गाथा को जीवंत करता है। झांसी किले की यात्रा भारतीय इतिहास, कला, और संस्कृति की समृद्धि को समझने का एक अद्भुत अवसर है। यदि आप इतिहास प्रेमी हैं या स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो झांसी का किला अवश्य देखें। यहाँ की यात्रा आपको भारतीय इतिहास और संस्कृति की गहराई का अनुभव कराएगी और यह आपके जीवन में एक यादगार अनुभव बने
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