jaisalmer fort – जैसलमेर शहर में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा किलों में से एक है। यह 1156 ईस्वी में भाती राजपूत शासक राव जैसल द्वारा बनाया गया था, जहां से इसका नाम उग आया है। यह किला स्थानीय लोगों द्वारा ‘सोने का क्विला (गोल्डन फोर्ट)’ के रूप में लोकप्रिय है और जैसलमेर शहर में सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। किले गर्व से थार रेगिस्तान की अनन्त स्वर्ण रेत के बीच में खड़ा है, जैसलमेर किला जैसलमेर के सबसे प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है।
भारत एक प्राचीन धोरोहर और ऐतिहासिक देश है। इस देश में एक से बॾ कर एक नायाब धरोहर है। यह किला राजस्थान के बेस्ट टुरिस्ट प्लेस मे से एक है, जो आज भी अपने इतिहास और वीरता की कहानी बयां करती है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से 560 किलोमीटर दूर, और पाकिस्तान सीमा से सटा जैसलमेर का किला इसका एक बड़ा उदाहरण है, जैसलमेर शहर में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा किलों में से एक है। यह 1156 ईस्वी में भाती राजपूत शासक राव जैसल द्वारा बनाया गया था।
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जैसलमेर शहर में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा किलों में से एक है। यह किला स्थानीय लोगों द्वारा सोनार किला (गोल्डन फोर्ट) के रूप में लोकप्रिय है और जैसलमेर शहर में सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। जो 750 साल पुराना गोरवशाली को इतिहास दर्शाता है। थार रेगिस्तान की सुनहरी रेत के बीच ऊंची पहाड़ी पर जैसलमेर किला है। ये दुर्ग त्रिकोण आकार की पहाड़ी पर स्थित है।
इसलिए इस किला का नाम रावल जेसल के नाम पर रखा गया ।जैसलमेर किला थार रेगिस्तान के एक ट्रिकुंता पर्वत पर खड़ा है।इस किले की दीवार पीले रंग के भारी पत्थरों से बनी है ।सूर्य उदय के समय सूर्य की किरणों में ये किला हल्के सुनहरे रंग का दिखता है।इस कारण इस किले को सोनार किला (गोल्डन फोर्ट ) भी कहा जाता है। जैसलमेर के बीचों बीच बना ये किला जैसलमर की एहतिसिक धरोहर है, जो आज विश्व भर में प्रसिद्ध है।आज देश – विदेश से लाखों पर्यटक और इतिहासकार देखने आते है। इस किले के चार प्रवेश द्वार है जिसमें एक द्वार पे तोपे लगी हुई है ।इस किले का मुख्य द्वार का नाम अखेपोला है ।
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जैसलमेर किले का इतिहास – Jaisalmer Fort History In Hindi
भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर की स्थापना 1156 ई. में भाटी राजा जैसल ने की थी. इस पहाड़ी की लंबाई 1500 फीट और चौड़ाई 750फीट है। इस किले का निर्माण राज्य रावल जेसल ने करवाया था। जो 80 मीटर ऊंची त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है. इस किले को देखने के लिये विश्वभर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं. आज जैसलमेर पर्यटन नगरी के रूप में विख्यात है. यहां की इकोनॉमी अब पर्यटन पर टिकी है.
जैसलमेर किले की वास्तुकला – Architecture of Jaisalmer Fort In Hindi
इस किले की दीवारों 3 परत है जो इस किले की सुरक्षा के हिसाब से बनाई गई है इस किले में 99 किले है जैसलमेर का किला इतना बड़ा और विशाल है कि युद्ध के सयम पूरी जनता को उनकी हिफाजत के लिए अंदर रख सकते थे आज भी इस किले में 4000 से ज्यादा लोग रहते है इन लोगों के वंशज यहां काम करते थे तभी से ये लोग इस किले में रह रहे है समय के अनुसार जैसलमेर की जनसंख्या बढ़ती गई । जैसे जैसे लोग त्रिकुंटा पर्वत के नीचे चारो और लोग बसने लगे ।
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जैसलमेर किले के दिलचस्प तथ्य – Interesting facts about Jaisalmer Fort In Hindi
जैसलमेर का किला 1500 फुट लंबा और 750 फुट चौड़ा है और यह एक पहाड़ी पर बनाया गया है जो जमीन से 250 फीट की ऊंचाई पर है। किले के तहखाने में 15 फीट लंबा दीवार है, जिसमें रक्षा की एक दोहरी रेखा है। किले में चार प्रवेश द्वार हैं, जिनमें से एक तोप से रक्षा करता था।
थार रेगिस्तान के एक ट्रिकुंता पर्वत पर खड़ा जैसलमेर किला। किले परिसर के अंदर कई वास्तुशिल्प भवन हैं जिनमें महल, मकान और मंदिर शामिल हैं, जो पीले बलुआ पत्थर से बने हैं. सूर्यास्त के समय किला सोने के जैसा सुनहरा चमकता है और इसकी सुंदरता बढ़ जाती है। जैसलमेर किले के अंदर संकीर्ण घुमाव रास्ते है। जैसलमेर किला का परिसर इतना विशाल है कि शहर की लगभग एक-चौथाई जनसंख्या इस किले में स्थित है।
जैसलमेर किले का महत्व – Importance of Jaisalmer Fort In Hindi
उस जमाने में जैसलमेर शहर भारत के मध्य एशिया के व्यापारियों को जोड़ने का अहम मार्ग था। व्यापारियों समान से लदे उंटो के लंबे लंबे कांरवा इस शहर में रुकने लगे । धीरे धीरे राजस्थान के दूसरे शहरों के धनी व्यापरी आ कर बसने लगे और फिर भारत के अन्य राज्यो से भी आए बड़े व्यापारियों ने बड़ी बड़ी हवेलियां बनाई । जैसलमेर शहर में पीले और सुनहरे रंग के पत्थरों से बनी ऎसी कई विशाल और सुंदर हवेलियां है जो आज भी मोह लेती है।
जैसलमेर किले का खूबसूरत दृश्य – Beautiful view of Jaisalmer Fort
जैसलमेर किले से सूर्य उदय होते देखना का एक अलग ही नजारा है सोनार किल पर पड़ने वाली सूर्य की पहली किरण को सुबह जल्दी उठ के देखना दिल में गहरा सकून देता है जो दिल को मीठा सा अहसास दिलाता है। इस छोटे से छेत्र में फैले शहर में पर्यटक पदेल ही घूमते हुए मरुस्थल तक पहुंच सकते है। बलुई रेत बड़े बड़े टीलो से घिरा जैसलमेर जब सांझ को रेत के सुनहरी चादर में अपने आप को पाकर सभी का मन प्रफुल्लित महसूस होता है । दूर दूर तक फैले रेत के टीले और बलुई पर्वतो को सांझ के समय देख कर चारो और शांति का अहसास होता है ।
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जैसलमेर किले में घूमने की जगह – places to visit in jaisalmer fort
थार मरूस्थल के ’त्रिकुटा पर्वत’ पर खड़ा यह क़िला यह क़िला एक वर्ल्ड हैरिटेज साइट है। जो बहुत ही ऐतिहासिक जगह है। सूरज की रोशनी जब इस क़िले पर पड़ती है, तो पीले बलुआ पत्थर से बना होने के कारण, यह दुर्ग सोने जैसा चमकता है। इसीलिए इसे ’सोनार क़िला’ या ’गोल्डन फोर्ट’ कहते हैं। जैसलमेर किला का परिसर इतना विशाल है कि शहर की लगभग एक-चौथाई जनसंख्या इस किले में स्थित है। जैसलमेर के किले बहुत साऋ देखने लायक जगह ओर टुरिस्ट प्लेस है।
jaisalmer fort मे घूमने की जगह पटवा की हवेली
जैसलमेर किले के जैन मंदिर के पास गुमन चंद पटवा ने पांच बेटो के लिए बनाई ये हवेलियां है जिसका नाम है पटवा की हवेली है जो जैसलमेर की खास धरोहर है जिसका निर्माण 18 वी सदी में हुआ था। इसका निर्माण पीले बलवा पत्थरों से बनी पटवा हवेली का निर्माण पूर्ण होने में चार दशक से ज्यादा का टाइम लगा। हवेली के बाहरी छज्जे, झरोखे, दीवालों के पीछे छुपे गुप्त रैक, सीढ़ियाँ, बैठक, रसोई घर, दीवारों पर बनें भित्ति चित्र और छतों पर की गई नक़्काशी मन को मोह लेती है ।
jaisalmer fort मे घूमने की जगह जैन मंदिर
जैसलमेर में बने जैन मंदिरों में कला की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं ’लौद्रवा जैन मन्दिर’। दूर से इसका भव्य शिख़र नजर आता है। इसमें लगे कल्प वृक्ष के बारे में मान्यता है कि इसे छूकर जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह पूरी हो जाती है। मंदिर के गर्भगृह में ’सहसफण पाशर््वनाथ’ की श्याम मूर्ति है, जो कि कसौटी पत्थर से बनी हुई है। जैसलमेर के क़िले के अंदर स्थित जैन मंदिर 12वीं और 15वीं शताब्दियों तक के माने जाते हैं।
jaisalmer fort मे घूमने की जगह नथमल जी की हवेली
दीवान मोहता नथमल, जो कि जैसलमेर राज्य में प्रधान मंत्री थे, उनके रहने के लिए यह हवेली बनाई गई थी। दो भाईयों-हाथी और लूलू, जो कि जबरदस्त वास्तुकार थे, उन्होंने ही इस हवेली की वास्तुकला में सहयोग किया। 19वीं शताब्दी ’नथमल जी की हवेली’ का निर्माण किया। हवेली पर चित्रों और पीले बलुआ पत्थर पर नक़्काशीदार हाथी सजावट के लिए प्रयोग किये गये हैं। इस वजह से यह हवेली सभी हवेलियों से अलग हैं।
जैसलमेर का प्रसिद्ध क्या है? What is famous about Jaisalmer?
शहर का सबसे प्रमुख स्थल जैसलमेर किला है, जिसे सोनार किला (स्वर्ण किला) भी कहा जाता है। भारत के अधिकांश अन्य किलों के विपरीत, जैसलमेर किला केवल एक पर्यटक आकर्षण नहीं है। इसमें दुकानें, होटल और प्राचीन हवेलियाँ (घर) हैं जहाँ पीढ़ियाँ आज भी रह रही हैं। जैसलमेर की स्थापना 12वीं शताब्दी में हुई थी।
जैसलमेर घूमने का सबसे अच्छा समय – best time to visit jaisalmer
जैसलमेर भारत-पाक सीमा से सटा थार रेगिस्तान मे स्थित है। थार मरुस्थल के कारण, जैसलमेर में मौसम पूरे साल शुष्क रहता है। स्वर्ण नगरी का सोनार किला दुनिया भर के पर्यटकों लुभाता है, इसलिए यहा हर मॉसम मे टौरिस्टों का मेल राहत है । फिर चाहे मौसम की स्थिति कैसी भी हो। आप जैसलमेर घूमने का सही समय बारिश के मॉसम का होती है। इस समय शुष्क रेगिस्तान में कुछ हरियाली देख सकते हैं। हालांकि जैसे ही अक्टूबर महिना आता है, यह का मौसम सुहाना हो जाता है। शामें ठंडी होती हैं, दिन सुहावने हो जाते हैं।
jaisalmer Fort घूमने कब जाना चाहिए?
आप जैसलमेर किला घूमने अक्टूबर से मार्च के बीच कभी भी जा सकते हैं। थार रेगिस्तान मे इस समय मॉसम बहुत ही सुहाना होता है। सर्दियों के दौरान आप थार रेगिस्तान में ऊँट की सवारी आनंद ले सकते है, यहाँ सैम सैंड ड्यून्स पर सूर्योदय और सूर्यास्त देखना एक मंत्रमुग्ध करने वाला अनुभव होगा।
जैसलमेर किला तक कैसे पहुंचे
जैसलमेर सिटी रेल ओर सड़क से भारत के प्रमुख शहरों के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर में स्थानीय परिवहन बहुत अच्छा है जैसलमेर सिटी घूमने में ऑटो रिक्शा एक सस्ता तरीका है। सोनार किला जैसलमेर सिटी के मध्य मे स्थित है। इस कारण आप पेदल भी यात्रा का मज़ा ले सकते है।
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