Ranakpur Jain Mandir राजस्थान के पाली जिले में अरावली पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा एक प्राचीन और भव्य जैन मंदिर है। रणकपुर जैन मंदिर जोधपुर और उदयपुर के बीच में अरावली पर्वत की घाटियों में स्थित है। उदयपुर से 100 किलोमीटर दुरी पर स्थित रणकपुर जैन मंदिर अपनी भव्यता, विशालता और सुंदरता के लिए काफी मशहूर है। जैन धर्म के प्रमुख 5 धार्मिक स्थलों में से एक रणकपुर जैन मंदिर, जैन तीर्थकर आदिनाथ जी को समर्पित है।
चारों तरफ जंगलों से घिरा रणकपुर जैन मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह मंदिर एक तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है और हर साल यहां हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यह मंदिर जैन के निर्माण में सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया है, जो इसे अद्वितीय और भव्य बनाता है। इस मंदिर की नक्काशी और स्थापत्य शैली विश्वभर में बेजोड़ मानी जाती है।
रणकपुर जैन मंदिर का इतिहास – Ranakpur Jain Mandir History in Hindi
अपनी भव्यता और खूबसूरत के लिए मशहूर रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण करीब 600 साल पहले 1439 में हुआ था। रणकपुर जैन मंदिर को बनाने में बहुत लम्बा समय लगा,और उस समय इसके निर्माण में करीब 1 करोड़ रुपए की राशि का खर्च आया। इसका निर्माण एक स्थानीय जैन व्यापारी धर्मशाह और महाराणा कुंभा के सहयोग उनके सासन काल में हुआ था, राणा कुंभा ने इसके बाद रणकपुर जैन मंदिर को बनवाने के लिए धरनशाह को जमीन दे दी, इसके साथ ही एक नगर बसाने के लिए भी कहा। इस भव्य मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी 1953 में एक ट्रस्ट को दे दी गई, जिसके बाद इस मंदिर का पुनरुद्दार कर इसे खूबसूरत और नया रुप दिया गया।
मंदिर का निर्माण कार्य 15वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ था। जिसमें कई शिल्पकारों, कारीगरों और वास्तुकारों का योगदान था। इस मंदिर का निर्माण कई दशकों तक चला और इसे पूरा करने में करीब 50 वर्ष का समय लगा। मंदिर का नाम “रणकपुर” महाराणा कुंभा के नाम पर रखा गया, जिन्हें इस क्षेत्र में “रणक” कहा जाता था। यह मंदिर जैन धर्म की दिगंबर परंपरा का हिस्सा है, और इसे एक महान धार्मिक और स्थापत्य कृति के रूप में जाना जाता है।
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रणकपुर जैन मंदिर की वास्तुकला – Ranakpur Jain Mandir Architecture in hindi
विसाल रणकपुर जैन मंदिर 48, 400 वर्ग फुट ज़मीन पर फेला है। मंदिर के द्वार चारों दिशाओं में खुलता है। रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण 1439 में हुआ था। सम्पूर्ण मन्दिर में सोनाणा, सेदाड़ी और मकराना के पत्थर का प्रयोग किया गया है। संगमरमर से बने इस खूबसूरत मंदिर में 29 विशाल कमरे हैं। मंदिर का मुख्य ढांचा सफेद संगमरमर से निर्मित है, वही इस मंदिर में 1444 खंबे लगे हैं। इन खम्बो की खासियत यह है, कि ये सभी खंबे एक-दूसरे से भिन्न हैं।
वही रणकपुर जैन मंदिर के एक एक स्तंभ में एक 47 पंक्तियों का लेख पत्थर उत्कीर्ण है, जो विक्रम संवत 1496 का है.! इसको संस्कृत और नागरी दोनों लिपियों का प्रयोग किया गया है. प्रस्तुत लेख में बप्पा रावल से लेकर कुंभा तक के बहुत से शासकों का वर्णन है. महाराणा कुंभा की विजयों तथा उनके विरुदों का विस्तृत वर्णन दिया गया है. अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध रणकपुर जैन मंदिर पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है, इस मंदिर की छत और दीवारों पर जटिल नक्काशी, देवी-देवताओं की मूर्तियां और फूलों के रूपांकन उकेरे गए हैं।
मंदिर के भीतर चार दिशाओं में चार बड़े हॉल हैं, जिनके बीच में मुख्य गर्भगृह स्थित है। मंदिर की गुम्बदें और मीनारें भी वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं। इसमें बने “मंडप” (सभा हॉल) और “गर्भगृह” (मूल मंदिर) भी बेजोड़ सुंदरता का प्रदर्शन करते हैं। मंदिर के पास के गलियारे में बने मंडपों में सभी 24 तीर्थंकरों की तस्वारें उकेरी गई हैं। सभी मंडपों में शिखर हैं और शिखर के ऊपर घंटी लगी है। हवा चलने पर इन घंटियों की आवाज पूरे मंदिर में गूंजती है।
रणकपुर जैन मंदिर की कहानी – Story of Ranakpur Jain Mandir In Hindi
रणकपुर जैन मंदिर से जुड़ी एक प्रमुख कहानी है, जिसमें बताया जाता है कि जैन व्यापारी धर्मशाह ने भगवान आदिनाथ का सपना देखा था। इस सपने में उन्हें निर्देश मिला कि वे भगवान आदिनाथ को समर्पित एक मंदिर का निर्माण करें। इस दिव्य संकेत से प्रेरित होकर, धर्मशाह ने महाराणा कुंभा से मिले ओर अपने सपने की बात कही, तब महाराणा कुंभा ने इस मंदिर के निर्माण के लिए भूमि दान की । महाराणा कुंभा ने इस मंदिर का निर्माण सुरू करवाया ।
इसके निर्माण के दौरान वास्तुकारों ने भगवान को खुश करने के लिए इसे चारों दिशाओं में बनाया, ताकि सभी दिशाओं से भगवान के दर्शन हो सकें। मंदिर के निर्माण में कठिनाई के बावजूद, इसे इतनी कुशलता से बनाया गया कि आज भी यह अद्वितीय स्थापत्य के लिए विश्वभर में जाना जाता है। माना जाता हैं, कि मंदिर के निर्माण में हर दिन का कार्य भगवान आदिनाथ को समर्पित माना जाता था।
रणकपुर जैन मंदिर महत्वपूर्ण तथ्य – Ranakpur Jain Mandir Important Facts In Hindi
- रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में शुरू हुआ था और इसे पूरा करने में लगभग 50 वर्ष लगे।
- यह मंदिर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है।
- इस मंदिर में 1444 खंभे लगे हुए हैं, जो हर खंभा एक दूसरे से भिन है ।
- इन खंभों मे से एक खंभा थोड़ा झुका हुआ है, जो मंदिर की स्थापत्य विशेषता को और भी विशिष्ट बनाता है।
- यह मंदिर पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना हुआ है, और इसमें अद्वितीय नक्काशी की गई है।
- रणकपुर जैन मंदिर अरावली की पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है, जिससे यह प्राकृतिक सुंदरता और शांति से भरपूर है।
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रणकपुर जैन मंदिर के पास घूमने की जगह – Places to visit near Ranakpur Jain Mandir
राजस्थान के पश्चिमी भाग में स्थित सबसे पसंदीदा टुरिस्ट स्थल है। जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। रणकपुर जैन मंदिर के आस पास घूमने के लिए कई खूबसूरत जगहें हैं।रणकपुर जैन मंदिर के आसपास कई अन्य धार्मिक ओर पर्यटन स्थल भी हैं, यहाँ कुछ प्रमुख जगहों की जानकारी दी जा रही है, जहां पर्यटक जाकर राजस्थान की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का आनंद ले सकते हैं।
कुंभलगढ़ किला रणकपुर जैन मंदिर के पास घूमने की जगह
कुंभलगढ़ किला रणकपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह किला राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध किलों में से एक है और यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूची मे है। कुंभलगढ़ की दीवारें दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती हैं, जो लगभग 36 किलोमीटर लंबी है। किले से आसपास की पहाड़ियों और जंगलों का नज़ारा बेहद सुंदर है। आगे पढ़े ..
सूर्य नारायण मंदिर रणकपुर – Sun Temple Ranakpur In Hindi
सूर्य मंदिर रणकपुर में स्थित एक दर्शनीय स्थल में एक हैं, यह मंदिर काफी लोकप्रिय मंदिर है , सूर्य मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी के दौरान कराया हैं। हालाकि एक बार नष्ट होने के बाद 15 वीं शताब्दी मंदिर का पुनिर्माण कार्य किया गया। मंदिर की देख रेख का कार्य उदयपुर शाही परिवार के ट्रस्ट की निगरानी में किया जाता हैं। सूर्य नारायण मंदिर की संरचना गोलाकार हैं जोकि अपने सात घोड़ो के रथ सवार भगवान् सूर्य देव की आकर्षित प्रतिमा के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
मुछाला महावीर मंदिर रणकपुर – Muchhala Mahavir Temple Ranakpur In Hindi
मुछाला महावीर मंदिर का स्थान रणकपुर कइ मुख्य दर्शनीय स्थलों में से एक है, मुछाला महावीर मंदिर भगवान महावीर को समर्पित हैं। यह मंदिर बहुत ही खुबसूरत है, मुछाला महावीर मंदिर रणकपुर के कुंभलगढ़ अभयारण्य में स्थित है। मुछाला महावीर मंदिर का सबसे प्रमुख आकर्षण यहां स्थित भगवान महावीर की मूछों वाली आकर्षित प्रतिमा हैं। इसके अलावा मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित हाथियों की दो मूर्तिया पर्यटकों को मोहित करती हैं।
रणकपुर वन्यजीव अभयारण्य
रणकपुर वन्यजीव अभयारण्यरणकपुर जैन मंदिर के कुछ ही दूरी पर स्थित है, यह अभयारण्य अरावली पहाड़ियों के घने जंगलों में फैला हुआ है और यहाँ विभिन्न प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं, जैसे तेंदुए, हिरण, भालू आदि। यह जगह ट्रेकिंग और जंगल सफारी के लिए भी प्रसिद्ध है।
नारलाई रणकपुर का खूबसूरत गांव
यह एक पहाड़ी की तलहटी में बसा एक छोटा सा गाँव है। यह स्थान रणकपुर शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर है। यह रणकपुर के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है, जो यहाँ स्थित कई हिंदू और मंदिरों के लिए जाना जाता है। इस स्थान की वास्तुकला प्राचीन काल के अवशेषों को दर्शाती है। इस स्थान की एक और आकर्षक विशेषता यहाँ खोदे गए गहरे कुएँ हैं। इस स्थान पर उनमें से काफी हैं। इनका उपयोग लोग पीने के लिए करते हैं।
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रणकपुर जैन मंदिर जाने का सही समय – Best time to visit Ranakpur Jain Mandir
रणकपुर जैन मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के मौसम (अक्टूबर से मार्च) में होता है। इस समय राजस्थान का मौसम सुखद और ठंडा होता है, जिससे यात्रा और मंदिर दर्शन करना आरामदायक होता है। गर्मियों में राजस्थान का तापमान बहुत अधिक हो जाता है, जिससे इस समय यात्रा करना कठिन हो सकता है। इसके अलावा, मानसून के दौरान भी आप मंदिर जा सकते हैं, क्योंकि इस समय अरावली की पहाड़ियाँ हरियाली से घिरी रहती हैं, जो इस स्थान कप बहुत ही आकर्षण बनता है।
रणकपुर जैन मंदिर कैसे जाएं – How to reach Ranakpur Jain Mandir
रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान के पाली जिले में स्थित है और यह स्थान राजस्थान और आसपास के अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहाँ आप विभिन्न साधनों से जेसे हवाई मार्ग से, रेल मार्ग से, सड़क मार्ग से कैसे पहुँच सकते हैं, इसकी जानकारी दी जा रही है:
हवाई मार्ग से रणकपुर जैन मंदिर कैसे जाये – How to reach Ranakpur Jain Mandir by air
उदयपुर का महाराणा प्रताप हवाई अड्डा (डबोक एयरपोर्ट), रणकपुर से लगभग 91 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उदयपुर हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, जयपुर, और अहमदाबाद से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से रणकपुर तक टैक्सी या कैब की सुविधा है, जिससे आप आसानी से रणकपुर जैन मंदिर पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग से रणकपुर जैन मंदिर कैसे जाये – How to reach Ranakpur Jain Mandir by train
नजदीकी रेलवे स्टेशन फालना है,जो रणकपुर से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। फालना रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है, और उदयपुर रेलवे स्टेशन भी करीब 90 किलोमीटर दूर है। यहाँ से रणकपुर तक टैक्सी या ऑटो द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। और यहाँ से भी टैक्सी द्वारा रणकपुर जैन मंदिर पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग से रणकपुर जैन मंदिर कैसे जाये – How to reach Ranakpur Jain Mandir by road
रणकपुर के लिए राजस्थान और आसपास के राज्यों के कई प्रमुख शहरों से नियमित बस सेवा उपलब्ध है। उदयपुर, जोधपुर, पाली, और माउंट आबू से रणकपुर के लिए सीधी बसें चलती हैं। राजस्थान राज्य परिवहन (RSRTC) और निजी बसें इस रूट पर आसानी से मिल जाती हैं।