hunted place kuldhara village – दोस्तों हमारे भारत देश इतिहास मेंबहुत से अनसुलझे रहस्य है। जिसके बारे में जानने के लिए आज भी हमारे मन मस्तिक में एक चाह रहती है। हमारे देश में ऐसे बहुत से रहस्य है। ऐसा ही रहस्य्मय गांव है कुलधरा। कुलधरा गांव के बारे में कहा जाता है। की ये भूतिया गांव है। कुलधरा गांव आज वीरान पड़ा है। सुनसान गलियों में सन्नाटे के सिवाय कुछ भी नहीं सुनाई देता। इस गांव में भी कभी रोनके होती थी। बच्को की किलकारियां सुनाई देती। यहाँ भी कभी महिलाओं के मधुर संगीत सुनाई देता था।
फिर ऐसा क्या हुआ, की आज पूरा गांव खाली ओर वीरान हो गया। आज वीरान पड़ा कुलधरा गाँव रहस्य को और उलझा देता है। कुछ लोग इसे भुता का डेरा बोलते है। तो कुछ इसे श्रापित गांव बोलते है। कुलधरा के इस रहस्य पर बहुत से रिसर्च हुए है। लेकिन आज तक कोई दावे के साथ कुछ नहीं कह सकता। कुलधरा के श्रापित होने के पीछे एक ऐतिहासिक कहानी का जिक्र होता है
कुलधरा गांव का इतिहास – History of Kuldhara Village In Hindi
जैसलमेर से लगभग 18 किलोमीटर पश्चिम में कुलधरा गांव है, इस गाँव की स्थापना 13वीं शताब्दी के आस-पास हुई थी. पालीवाल ब्राह्मणों ने कुलधरा को बसाया था। तीन सो साल पहले यह एक समृद्ध शहर था, लेकिन आज यह रहस्य में डूबा वीरान ओर एक भूत्वा गाँव है। इस गाँव की स्थापना पालीवाल ब्राह्मणों ने की थी, और शुष्क रेगिस्तान में भरपूर फसल उगाने की उनकी क्षमता के कारण यह एक समृद्ध समुदाय था। लेकिन एक रात, संन1825 में, कुलधरा और आस-पास के 83 गाँवों के सभी लोग अंधेरे में गायब हो गए।
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कुलधरा गांव कहा स्थित है – Where is Kuldhara village located
भरत के राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर से 750 किलोमीटेर दूर जैसलमेर के पश्चिम में 18 किलोमीटर दूर कुलधरा गांव है। इसे 1291 ईसा पूर्व में पालीवाल ब्राह्मणों के द्वारा बसाया गया था। शुरुआती समय में यह केवल 50 परिवारों का ही बसेरा था जो धीरे – धीरे समय गुजरने के बाद गांव में बहुत सारे परिवारों ओर घरों का विकास हुआ। इस गांव का क्षेत्रफल 120 किलोमीटर तक फेल गया और ये गांव 83 भागो में विभाजित हो गया।
कुलधरा गांव। kuldhara haunted place in india
कुलधरा गांव में निवास करने वाले पालीवाल ब्राह्मण अन्य समुदाय के ब्राह्मणों से अलग कार्य किया करते थे। यहां के ब्राह्मण खेतो में हल चलाते ओर खेती बाड़ी कर के अपने परिवार का भरन पोषण करते थे और कुछ पशुपालन का काम भी करते थे। पालीवाल ब्राह्मणों का मुख्य कारोबार राजस्थान की शिल्पकारी को अन्य राज्यो में जाकर बेचना था। ये ऊंटों पर अन्य राज्यो से सामान आयात कर जैसलमेर के अन्य शहरों में उनका निर्यात करते थे। इनका मुख्य उद्योग सूखे मेवे, अन्नाज बेचना, हाथी के दांत के बने आभूषण जो कि राजस्थान की प्रमुखता थी।
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कुलधरा गांव के पालीवाल ब्राह्मणों की वास्तुकला Architecture of Paliwal Brahmins of Kuldhara Village
इतिहास कारों माने तो जैसलमेर से 18 किलोमीटर दूर के एरिया में पालिवाल ब्राह्मणों ने इस गांव कुलधरा को बसाया और वहां 84 गांव के हजारों घरों के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते थे। यह लोग बहुत होनहार, पढे-लिखे, और बहुत ही मेहनती थे। उस जमाने मे भी इन लोगों का दिमाग बहुत तेज था। और ये लोग अच्छे वैज्ञानिक भी माने जाते थे। इन लोगों ने उस जमाने में बहुत ही नई तकनीकों का ईजात किया।
पालीवाल ब्राह्मणों ने इस गाँव मे बहुत वैज्ञानिक तरीके से अपने घर बनाए। जो काफी घर आज भी वहां मौजूद है, और ये अभी भी बिलकुल नए जैसे लगते है। आज भी गर्मी में भी उन घरों में ठण्डी हवा का अहसास होता है। पालिवाल लोगो का मुख्य पेशा जानवरों को पालना और खेती करना था। यह लोग बारिश का पानी को जमा कर के फसल उगाने उगाते थे।
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कुलधरा गांव के वीरान होने की कहानी The story of the desolation of Kuldhara village
कुलधरा गांव का जनजीवन 17 वीं शताब्दी तक शांत और सुखमय था। ओर जब देश में ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन हो चुका था। उसके बाद से यहां के लोगो का जीवन बहुत मुश्किल हो गया था। देश के कई राज्यों में अंग्रेजों की सत्ता की हुकूमत होने लगी थी। बाद में राजस्थान पर भी18वीं शताब्दी आने तक अंग्रेजों की हुकूमत का हिस्सा बन गया था। जैसलमेर में मूलराज ओर गज सिंह राजाओं का शासन काल 1820 में जैसलमेर पर रहा और उन्होंने अंग्रेजो के साथ संधि कर ली थी।
अगर वे बाहरी आक्रमणों से उनकी रक्षा करेंगे तो उन्हें उनकी सत्ता मंजूर है। उसके बाद राजा गज सिंह ने सालिम सिंह को राज्य का दीवान नियुक्त किया था। सालिम सिंह को कर और लगान वसूलने की जिम्मेदारी सौंपी गई । पालीवाल ब्राह्मण की आर्थिक संपन्नता ओर आत्मनिर्भरता वहा के राजाओं को शुरू से ही बहुत खटकती थी। इसलिए उन्होंने सालिम सिंह को जिम्मेदारी दी ताकि वह पालीवालों से अधिकाधिक कर वसूल सके । सालिम सिंह ने पालीवालों से अतिरिक्त कर वसूलना शुरू कर दिया।
ओर उन लोगो पर अत्याचार करता कर न देने पर वह गांव में उत्पात मचाता और उसके सैनिक घरों से पुरुषों को खींच लाते और उनकी बेरहमी से पिटाई करते। औरतों ओर बच्चो , बूढों सब पर कहर बरसते। गांव के लोगो ने सालम सिंह के अत्याचारों से परेशान होकर वे पास जाकर उन्हें जैसलमेर रियासत से संधि तोड़ने को कहा लेकिन उनके बार – बार आग्रह करने पर भी अंग्रेजो ने उनकी बात नहीं मानी और उन्हें साफ इनकार कर दिया। ओर इसलिए गांव वालो को वर्षों तक सालम सिंह के अत्याचारों को सहना पड़ा था।
क्यों खाली हुआ है कुलधरा गांव – Why is Kuldhara village empty?
दीवान सालम सिंह एक कूर ओर अयास किसम का इंसान था, एक बार सालम सिंह कुलधरा गांव का दौरा कर रहा था। तभी सालम सिंह की नजरे कुलधरा गांव के प्रधान की बेटी पर पड़ी और वो उसे बहुत पसंद आ गई । पुजारी की बेटी को देख कर दीवान की नियत खराब हो गयी, उस लडकी को पाने के लिए उसने बहुत कोशिश की और अलग-अलग तरह की लगान लगाई। ताकि पालिवाल ब्राह्मण उसके सामने झुके और वो अपनी मंशा पुरी कर सके।
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पर पालिवाल ब्राह्मण बहुत ही उन्नत और रहीस थे और इस वजह से उसकी चाल कामियाब नहीं हो पाई। आखिरकार उसने कई बार उस लडकी को उठाने की भी कोशिश की पर इसमें भी वो कामियाब नहीं हो पाया। और अंत में जब उसे कोई भी कामियाबी हासिल नही हुई तो उसने सीधे उस गांव में संदेश भिजवा दिया कि अगले पूरणमासी की रात तक उसी लडकी को सालम सिंह की हवेली तक भिजवा दो नही तो वो उस गांव पर आक्रमण कर देगा।
सालम सिंह की इस धमकी ने गांव वालों को चिंतित कर दिया। उनकी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें क्यूंकि पूरणमासी की रात आने में कुछ दिन का ही समय बचा था। इस लिय उनके पास वक्त नही था। इसके बाद गांव के मुख्या ने पंचायत बुलाने का निर्णय लिया, उसी दिन सारे 84 गांव के लोग एक मंदिर में इकट्ठा हुए।
सभी ने वहां मिलकर विचार किया, की हम सभी लोग साथ मिलकर इस मुसीबत का सामना करेंगे, लेकिन वो कुछ 1000 गाँव के लोग दीवान की इतनी बड़ी सेना का सामना नही कर सकते थे, लेकिन लड़की को बचना भी था। ओर सबने मिलकर यह तय की अपनी इज्जत का सौदा नहीं करेंगे। अंत में सभी 84 गांव के लोगों एक मत हो कर गाँव छोड़ने का फैसला
सारे गांव वालों ने मिलकर निश्चय किया कि अगर हम सालम सिंह का सामना करेगे तो निश्चित हमारी हार होगी और फिर पूरे गांव की महिलाओं की इज्जत खतरे में पड़ सकती है। इसलिए सभी ने निर्णय लिया कि भलाई इसी में है कि आज रात ही पूरे गांव को खाली कर यहां से दूर चले जाएंगे । गांव के लोगो के लिए यह भी किसी चुनौती से कम नहीं था। 83 गांवों में करीब 5 हजार परिवार रह रहे थे। फिर भी उन्होंने कोशिश की वहा से जाने की ताकि सालम सिंह के अत्याचारों से बचा जा सके।
सभी गांव के लोगो ने रातो रात अपना सामान बांधा, अपने पास जितनी भी जमा पूंजी थी सब इकठ्ठा की, तहखानों में रखा जो भी रुपया हाथ लगा उसे ले लिया। खाने का कुछ सामान और जरूरी औषधियां रखीं, जो मवेशी साथ चल सकते थे, उन्हें साथ रखा और बाकी छोड़ दिया। मध्य रात्री को घने अंधेरे में गांव वाले अपने अपने साधनों पर रवाना हो गए। गांव से पालकी और ऊंट गाड़ियों में सवार होकर ग्रामीण अपनी नई मंजिल की ओर निकल पड़े। सभी लोग रात के अंधेरे मे चुपचाप गांव से चले गये।
पालीवाल ब्राह्मणों का कुलधरा गांव को श्राप – Curse of Paliwal Brahmins on Kuldhara village
पालीवाल जब गांव छोड़ रहे थे, सभी दुखी थे। सभी गाँव वालों अपने हंसते खेलते गांव को यूही छोड़ कर जाना अच्छा नहीं लग रहा था। और उन लोगों ने उस गांव को श्राप दिया की आज के बाद यह गांव कभी नही बस पाएगा और जो यहां बसने की कोशिश करेगा उसका अच्छा नहीं होगा।
पालीवालों का श्राप आज भी कायम है। इस गांव को दुबारा बसाने की हिम्मत किसी की भी नहीं हुई और ना ही किसी राजा ने दोबारा इस गांव को बसाया। आज तक ये कोई नहीं जानता की गांव वाले रातों रात कहा गए ओर किस रास्ते से गए ।
500 साल से ज्यादा वक्त तक कुलधरा में रौनक थी और अब 200 साल से यहां खाली वीराना है. कुछ पर्यटकों की गाड़ियां रोजाना यहां के खालीपन में हल्की सी आवाजें पैदा करती हैं, आने वाले लोग वीरान पड़े गाँव मे खंडहर हुए घरों में जाते हैं, फोटो खींचते हैं और फिर शाम होने से पहले ही वापिस आ जाते हैं. ओर फिर रात का सनाटा इस गाँव की बर्बादी की दस्ता बया करती है,
जैसलमेर से कुलधरा गांव जाने का रास्ता – Way to reach Kuldhara village from Jaisalmer
राजस्थान के जैसलमेर शहर जिसे की गोल्डन सिटी भी कहा जाता है बहुत ही खूबसूरत शहर है वहां महज 18 किलोमीटर की दूरी पर कुलधरा गाँव बसा हुआ है। जैसलमेर से कुलधरा जाने का रास्ता बहुत ही सुनसान है। आपकों इस रास्ते मे बहुत ही कम गाड़ी दिखेगी, ओर आपको अजीब सा महसूस होगा।
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दोस्तों हम आशा करते हैं की इस आर्टिकल से आपको Kuldhara village की पूरी जानकारी मिल गयी होगी, इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ताकि उन्हें भी Kuldhara village की जानकारी हो सके।
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