भानगढ़ किला भुतहा की जगह | Bhangarh Fort History In Hindi

04/03/2024

भानगढ़ किला भुतहा की जगह | Bhangarh Fort History In Hindi –  दोस्तों हमारे देश  भारत में बहुत सारे डरावने और रहस्मय किले और हवेलिया है। आज हम जिस किले की बात कर रहे है । वो भानगढ़ का किला{Bhangadh Fort} , जिसे दुनिया भूतो का किला भी बोलती है । हमारे देश आज भी भूतो के नाम से दिल की धडकने तेज हो जाती है । वही इस किले को देखने के लिए देश विदेश लाखो पर्यटक आते है। भानगढ़ का किला मुख्य पर्यटक स्थल है । राजस्थान की राजधानी जयपुर से 85 किलोकिटर दूर अलवर जिले में स्थित है। ये जयपुर देहली राजमार्ग से जुडा हुआ है। भानगढ़ का किला के बर्बाद होने के इतिहास और रहस्यमयी घटनाओं के कारण मशहूर है। इस किले को भारत का सबसे डरावना किला मन जाता है।भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा भी सूर्योदय और सूर्यास्त के उपरांत किले में ना आने संबंध में चेतावनी जारी की गई है।

भानगढ़ किला भुतहा की जगह | Bhangarh Fort History In Hindi

भानगढ़ का किला राजस्थान  के अलवर जिले में स्थित है । भानगढ़ जयपुर और अलवर के सेंटर में है। जयपुर से भानगढ़ 85 किलोमीटर है । वही अलवर से भानगढ़ की दुरी 90 किलोमीटर है । इस किले से 25 किलोमिटर दुरी पर विश्व प्रसिद Sariska National Park है। भानगढ़ किला तीन तरफ से पहाडियों से घिरा हुआ है। सुरक्षा की द्र्स्टी से ये काफी उपयोगी होता है।

भूतो का किला भानगढ़ का रहस्य-Bhangarh Fort History In Hindi

भानगढ़ का किला -Bhangarh Fort History In Hindiभानगढ़ का किला -Bhangarh Fort History In Hindi

भानगढ़ किला भारत के 16 सताब्दी में निर्मित एक प्राचीन किला है। ये राजस्थान का जिला अलवर के पास स्थित है । भानगढ़ किले को सन 1573 मान सिंग पर्थम ने अपने छोटे भाई माधो सिंग प्रथम के लिए निर्माण करवाया था । इस किले का नाम भान सिंह के नाम पर है। भान सिंग माधो सिंग  के पितामह थे।ये किला बहुत ही विशाल आकार में तैयार करवाया गया था । भानगढ़ के बसने  के बाद  लगभग 300 साल तक फलता फूलता रहा था। उस समय तक भानगढ़ जनसंख्‍या तकरीबन 10,000 थी। 16 वि सताब्दी में ये मानसिंग  के छोटे भाई राजा माधो सिंग की रियासत थी । और भानगढ़ किला उनका निवास स्थान था ।

भानगढ़ किला भुतहा की जगह | Bhangarh Fort History In Hindi

माधो सिंग के तिन पुत्र थे , सुजान सिंग , छत्र सिंग और तेज सिंग। माधो सिंग की मृत्यु के बाद भानगढ़ की गदी पर अधिकार छत्र सिंग को दिया गया था। छत्र सिंग के पुत्र अजब सिंग थे। अजब सिंग ने भानगढ़ को अपनी रिहासत नहीं बनाया । उन्होंने अपने दो पुत्रो काबिल सिंग और जसवत सिंग के साथ अजब गढ़ बसा लिया। और दो पुत्रो के साथ वही अपना निवास स्थान बना लिया । उनका तीसरा पुत्र हरी सिंग 1722 में भानगढ़ का शासक बना । ये उस समय की बात है जब ओरेंग्जेब का सासन था ।

इतिहास के अनुसार ओरंगजेब एक कटर और कुर शासक था। ओरंगजेब दबाब में हरी सिंग के दो पुत्र ने मुसलमान धर्म अपना लिया था। जिनका नाम मोहम्मद कुलीज़ और मोहम्मद दहलीज़ पड़ा। ओरंगजेब ने इन दोनो को भानगढ़ की जिमेदारी सोप दी। तब जयपुर के राजा सवाई जयसिंह ने भानगढ़ पर हमला कर दिया । और मोहम्मद कुलीज़ और मोहम्मद दहलीज़ को मारकर भानगढ़ पर कब्ज़ा कर लिया। तथा माधो सिंह के वंशजों को गद्दी दे दी।

  खंडर हो चके भानगढ़ किले का रहस्य -Bhangarh Fort History In Hindi

भानगढ़ किला 16 /17 वि सताब्दी तक रोशनी से जगमगता था। ये किला आज वीरान और खंडर हो चूका है । इस बारे बहुत सी बाते प्रचलित है। कुछ बाते तो बहुत ही डरावनी और रहस्मय है। भानगढ़ किले को खंडर होने दो बातो खास जिक्र होता है ।

योगी बालूनाथ के श्राप से उजड़ा भानगढ़ किला Bhangarh Fort History In Hindi

इस कहानी का रहस्य भानगढ़ किले के निर्माण से जुड़ा है। लोग बताते है इस किले को जहा बनाया गया है। वह स्थान योगी बलुनाथ का तपस्थल था । योगी बलुनाथ नहीं चाहते थे इस किले की परछाई उनके मठ पर पड़े । महाराजा भगवंतदास ने वचन दिया , की भानगढ़ किले की परछाई नहीं पड़ेगी। और इस बात ख्याल रखते हुए इस किले का निर्माण करवाया।

मगर उनके वंसज ने इस किले का पुननिर्माण कार्य किये थे। उपर की मंजिलो के निर्माण से भानगढ़ किले की ऊंचाई बड गई । इस किले की परछाई योगी बलुनाथ के तपस्थल पर पदं लगी। इस से क्रोधीत हो कर बलुनाथ ने श्राप दे दिया । की ये किला आबाद नहीं रहेगा । और उसके बाद ये किला वीरान होता गया , जो आज एक में तब्दील हो चूका है ।

भानगढ़ किले की राजकुमारी और तांत्रिक सिधू सेवदा-Mystery of Bhangarh Fort

बहुत से इस बात का जिक्र करते है। भानगढ़ की राजकुमारी रत्नवती अति खुबसूरत थी। राजकुमारी के सुन्दरता की चर्चा भानगढ़ और उसके पास राज्य में भी होती थी। कई राजकुमार उससे विहाह करने के सपने सजाने लगे थे। भानगढ़ में ही एक सिंधू सेवडा नाम का तांत्रिक रहता था। वह तांत्रिक और काले जादू का बहुत बड़ा जानकार था।

राजकुमारी को देख कर वह भी रत्नवती पर आकर्षित हो गया। वह तांत्रिक हर हाल में राजकुमारी को पाना चाहता था। और इसके लिए तांत्रिक ने तंत्र विधी व् काले जादू का सहारा लिया। एक समय की बात है, राजकुमारी रत्नवती की दसिया बाजार से श्रृंगार का सामान लेन गई। तांत्रिक सिंधू सेवडा ने अपनी तांत्रिक से एक तेल की शीसी {बोतल }पर वशीकरण मंत्र प्रयोग किया। और दसियों के हाथो राजकुमारी के पास भेज दिया।

भानगढ़ किला भुतहा की जगह | Bhangarh Fort History In Hindi

भानगढ़ का किला -Bhangarh Fort History In Hindi

तांत्रिक की मंशा थी वशीकरण के प्रभाव से राजकुमारी उसकी और खिंची आयगी। राजकुमारी तंत्रिके के छल को भांप गई। और दसियों के द्वारा उस तेल को बहार एक चटान पर फिकवा दिया। काले जादू के असर से चटान तांत्रिक की और खिसकने लगी।  चटान को अपनी और आते देख तांत्रिक न श्राप दिया। की भानगढ़ वीरान हो जायेगा। भानगढ़ के वासियों की मोत हो जाएगी और उनकी आत्मा भानगढ़ किले में भटकती रहेगी।

लोग बताते है की तांत्रिक की चटान के निचे दबकर मोत हो गई। कुछ समय बाद भानगढ़ और अजबगढ़  में भयंकर युद्ध हुआ। जिसमे भानगढ़ की बहुत तबाही हुई। इस युद्ध में भानगढ़ के निवासी का कत्लेउआम हुआ मौत की चींखो भानगढ़ गूंज उठा। आम वासिंदे भी मारे गए और भानगढ़ का किला तबाह हो गया। जो फिर कभी नहीं बस सका । दोस्तों इन बातो में कितनी सचाई है। हम ये दावा नहीं करते है । जब भानगढ़ का जिक्र होता है तो येही कहानिया सुनने को मिलती है ।

भानगढ़ किले की रहस्मयी घटनायें-Mystery of Bhangarh Fort

भानगढ़ का किला प्राचीन कल में जिस किले में कभी रजा के आदेश की दहाड़ सुनाई देती। आज लोगो की माने तो रात को किसी के रोने की तेज आवाज सुनाई दती है। भानगढ़ का किले को आज भूटिया किला कहा जाता है। इस समय भानगढ़ किले की निगरानी भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ आर्कियोंलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम मौजूद रहती हैं।

एएसआई ने सख्तक हिदायत दे रखी है कि सूर्यास्ता के बाद इस इलाके में किसी भी व्यतक्ति के रूकने के लिए मनाही है। रहस्यमयी घटनाओं के कारण पुरातत्व विभाग द्वारा भानगढ़ किले को भूटिया किला घोषित कररखा है। पुरातत्व विभाग ने इस किले की निगरानी के लिए ऑफिस भी बना राखी है।और किले के प्रवेस गेट पर बोर्ड लगा रखा है । जिस पर साफ साफ लिखा है। इस किले में सूर्योदय और सूर्यास्त के उपरांत किले में प्रवेश वर्जित है।

भानगढ़ किला भुतहा की जगह | Bhangarh Fort History In Hindi

भानगढ़ में कई दर्शनीय स्थल हैं। जिनमें मंदिर प्रमुख है। इन मंदिरों भगवान सोमेश्वर, गोपीनाथ, मंगला देवी और केशव राय के मंदिर प्रमुख मंदिर हैं। सोम्स्वेर मंदिर को छोड़ कर किसी भी मंदिर मूर्ति नहीं है। इस मंदिर में तांत्रिक सिंधु के वंसज पूजा करते है। ये मंदिर आज भी सही सलामत है।बाकि सारा भानगढ़ खंडर बन चूका है

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