Ashok Stambh:भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिसा है,जो मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए स्तंभों में से एक है। अशोक स्तंभ भारतीय कला और वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण है। आज हम यहां पर आपको अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। यहां पर हम आपको Ashok Stambh की पूरी जानकारी शेयर करेंगे।
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अशोक स्तंभ का इतिहास – History of Ashok Stambh in Hindi
अशोक स्तंभ का इतिहास मौर्य सम्राट अशोक से जुड़ा है, जो भारत के सबसे महान सम्राटों में से एक माने जाते हैं। अशोक ने 273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक भारत पर शासन किया और उनका साम्राज्य वर्तमान भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान और पश्चिम देशों के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ था। अशोक के शासनकाल के शुरुआती वर्षों में वह एक महात्वाकांक्षी और युद्धप्रिय राजा थे।
लेकिन जब उन्होंने कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) के दौरान रक्तपात और विनाश को देखा, तो उनका हृदय परिवर्तन हुआ। इस युद्ध के परिणामस्वरूप हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग घायल हुए या विस्थापित हो गए। इस युद्ध की भयावहता ने अशोक को अहिंसा और बौद्ध धर्म की ओर मोड़ दिया। उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और अपना जीवन धर्म, अहिंसा, और न्याय के प्रचार-प्रसार में लगा दिया।
अशोक स्तम्भ (अशोक पिलर) की बनावट – Structure of Ashok Stambh in Hindi
सारनाथ का स्तंभ धर्मचक्र प्रवर्तन की घटना पर आधारित है, यह स्तंभ चुनार के बलुआ पत्थर से बना हुआ है, और लगभग 45 फुट लंबे प्रस्तरखंड का है। धरती में गड़े हुए आधार को छोड़कर इसका दंड गोलाकार है, ये जेसे जेसे उपर बढता है, इनका आकर पतला होता जाता है, दंड के ऊपर इसका कंठ और कंठ के ऊपर शीर्ष है, कंठ के नीचे उलटा कमल है, इनके गोलाकार कंठ चक्र से चार भागों में विभक्त है। उनमें क्रमश: हाथी, घोड़ा, सांढ़ तथा सिंह की सजीव प्रतिकृतियाँ उभरी हुई है।
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कंठ के ऊपर शीर्ष में चार सिंह मूर्तियाँ हैं जो एक दुसरे के विपरीत दिशा में है , जिसकी पीठ एक दूसरी से जुड़ी हुई हैं। इन चारों शेरों की मूर्तियों के बीच एक दंड 32 तिल्लियों के धर्मचक्र धारण किये हुए हे। ये धर्मचक्र भगवान बुद्ध के 32 महापुरुष लक्षणों का प्रतीक के जैसा हे। ये Ashok Stambh दिखने में बहुत ही अदभुत है। इस समय स्तंभ का निचला भाग अपने मूल स्थान में है। शेष संग्रहालय में रखा है। धर्मचक्र के केवल कुछ ही टुकड़े उपलब्ध हुए। चक्ररहित सिंह शीर्ष ही आज भारत गणतंत्र का राज्य चिह्न है।
Architecture of Ashok Stambh In Hindi
अशोक स्तंभों की वास्तुकला अद्भुत है। यह स्तंभ आमतौर पर एक सिंगल शिला से बने होते हैं, और इन्हें एक ही पत्थर को तराश कर तैयार किया गया है। अधिकांश अशोक स्तंभ की ऊंचाई 40 से 50 फीट होती है और इनका वजन कई टन होता है। अशोक स्तंभ के निर्माण में मुख्य रूप से बलुआ पत्थर (सैंडस्टोन) का उपयोग किया गया था, जो उस समय उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध था।
Importance of Ashok Stambh In Hindi
अशोक स्तंभ का भारतीय इतिहास और संस्कृति में अत्यधिक महत्व है। यह न केवल धर्म के प्रचार-प्रसार का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय शिल्पकला, कला, और वास्तुकला का भी उत्कृष्ट उदाहरण है। अशोक स्तंभों पर अंकित आदेशों से हमें मौर्यकालीन समाज, शासन, और धार्मिक जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। अशोक स्तंभ हमें यह भी सिखाते हैं कि धर्म, नैतिकता, और अहिंसा के माध्यम से समाज में शांति और सद्भावना स्थापित की जा सकती है।
अशोक स्तंभ भारतीय संस्कृति और धरोहर का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जिसे हमें संरक्षित और संजोकर रखना चाहिए। यह स्तंभ न केवल हमारे अतीत का हिस्सा है, बल्कि यह हमें वर्तमान और भविष्य के लिए नैतिकता और धर्म के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा भी देता है।
Importance of lions in Ashok Stambh In Hindi
अशोक स्तंभ में शेरों का विशेष महत्व है। सारनाथ के अशोक स्तंभ के शीर्ष पर चार शेरों की आकृति है, जो चारों दिशाओं में देखते हुए अहिंसा, शक्ति, और शांति का प्रतीक हैं। ये शेर बौद्ध धर्म के धर्मचक्र प्रवर्तन का भी प्रतीक हैं, जो अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार का संकेत देते हैं। शेरों की ये आकृति मौर्यकालीन कला और शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाती है। इसे भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है, जो हमारे देश के समृद्ध इतिहास, शक्ति, और नैतिकता का प्रतीक है।
Story of Ashok Stambh In Hindi
अशोक स्तंभ की कहानी सम्राट अशोक के धार्मिक और नैतिक परिवर्तन से जुड़ी है। जब कलिंग युद्ध में लगभग 1 लाख से अधिक सैनिक मारे गए थे.इस युद्ध में हजारों महिला ओर बच्चे भी मारे गए थे.इस युद्ध में हुए भयंकर रक्तपात से सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन हो गया,और भविष्य में कोई भी युद्ध न करने का निश्चय किया.।
उन्होंने संकल्प लिया कि वह अहिंसा और धर्म के मार्ग पर चलेंगे और अपने राज्य में शांति और न्याय स्थापित करेंगे। इसके लिए उन्होंने अपने आदेशों और उपदेशों को स्तंभों पर खुदवाया और इन्हें पूरे साम्राज्य में स्थापित करवाया। ताकि लोगों को एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सहानुभूति का भाव रखना चाहिए। अशोक स्तंभों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य लोगों को नैतिकता और धर्म के प्रति जागरूक करना था, ताकि समाज में शांति और सद्भाव बना रहे। इन स्तंभों पर ब्राह्मी लिपि में खुदे लेख आज भी हमारे लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत हैं, जो मौर्यकालीन समाज और शासन की झलक प्रस्तुत करते हैं।
भारत में अशोक स्तंभ कहां स्थित है Where is Ashoka pillar located in India
अशोक ने अपने शासनकाल के दौरान 33 से अधिक स्तंभों की स्थापना की, जिन्हें अशोक स्तंभ के नाम से जाना जाता है। इन स्तंभों पर ब्राह्मी लिपि में उनके आदेश और धर्मोपदेश खुदे हुए हैं, जो मुख्य रूप से न्याय, अहिंसा, और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश देते हैं। इनमें से कुछ स्तंभ समय के साथ नष्ट हो गए, जबकि कुछ अभी भी संरक्षित हैं। जेसे Ashoka Pillar Delhi, Ashoka Pillar Sarnath, Ashoka Pillar Allahabad, Ashoka Pillar Vaishali, Ashok Pillar Sanchi, अदि है !
Ashok Stambh Delhi In Hindi
दिल्ली का यह अशोक स्तम्भ तीन शताब्दी ईसा पूर्व महान् सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था। यह अशोक स्तंभ दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में स्थित है। यह स्तम्भ 13.1 मीटर ऊंचा है,और यह बलुआ पत्थर से निर्मित है।
Ashok Stambh Sarnath In Hindi
सम्राट अशोक का एक स्तंभ सारनाथ में स्थित है। सारनाथ में अशोक महान ने 250 ईस्वी में बनवाया था। सारनाथ का स्तंभ अशोक स्तंभ के नाम से जाना जाता है। सारनाथ स्थित स्तंभ के शीर्ष पर चार शेर बैठे हैं। सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ सारनाथ संग्रहालय (Sarnath Museum) में रखा गया है। अशोक स्तंभ पर तीन लेख लिखे गए हैं जिनमें से पहला लेख अशोक के ही समय का है और ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है। जबकि दूसरा लेख कुषाण काल एवं तीसरा लेख गुप्त काल का है।
Ashok Stambh Allahabad In Hindi
इलाहाबाद का अशोका स्तंभ इलाहाबाद किले के बाहर स्थित है। इस अशोका स्तंभ का निर्माण 16 वीं शताब्दी में करवाया था। अशोक स्तंभ के बाहरी हिस्से में ब्राह्मी लिपि में अशोक के अभिलेख लिखे हैं। माना जाता है कि 1800 ई. में स्तंभ को गिरा दिया गया था लेकिन 1838 में अंग्रेजों ने इसे फिर से खड़ा करा दिया।
Ashok Stambh Vaishali In Hindi
बिहार राज्य के वैशाली में भी अशोक स्तम्भ स्थित है। सम्राट अशोक ने वैशाली में इस अशोक स्तम्भ का निर्माण करवाया था। वैशाली स्थित अशोक स्तंभ अन्य स्तंभो से काफी अलग है। स्तंभ के शीर्ष पर त्रुटिपूर्ण तरीके से एक सिंह की आकृति बनी है जिसका मुंह उत्तर दिशा में है। इस स्तंभ के बगल में एक तालाब है,जिसे रामकुंड के नाम से जाना जाता है।
Ashok Stambh Sanchi In Hindi
यह अशोक स्तंभ तीसरी शताब्दी में बनवाया गया था, जो मध्यप्रदेश के सांची में स्थित है। यह अशोक स्तंभ सारनाथ स्तंभ से भी काफी मिलता जुलता है। सांची स्थित अशोक स्तंभ के शीर्ष पर चार शेर बैठे हैं। जिसकी पीठ एक दुसरे से जुडी हुई है, सदियों पुराना होने के बावजूद यह अशोक स्तंभ नवनिर्मित दिखाई देता है।
अशोक स्तंभ के महत्वपूर्ण तथ्य Important facts of Ashoka Stambh
- अशोक स्तंभों की संख्या: इतिहासकारों के अनुसार, अशोक ने लगभग 33 स्तंभों की स्थापना की थी। इनमें से कुछ स्तंभ समय के साथ नष्ट हो गए, जबकि कुछ अभी भी संरक्षित हैं।
- सबसे प्रसिद्ध अशोक स्तंभ: सारनाथ का अशोक स्तंभ सबसे प्रसिद्ध है, जिसे भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है। इस स्तंभ के शीर्ष पर चार शेरों की मूर्ति है, जो चारों दिशाओं में देखते हुए अहिंसा, धर्म, और शांति का प्रतीक हैं।
- लिपि और भाषा: अशोक स्तंभों पर खुदे लेख ब्राह्मी लिपि में हैं और इनकी भाषा प्राचीन पाली या संस्कृत है। कुछ स्तंभों पर ग्रीक और अरामाईक लिपियों का भी उपयोग किया गया है, जो उस समय के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का प्रतीक है।
- धार्मिक महत्व: अशोक स्तंभ बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार का मुख्य साधन थे। अशोक ने अपने आदेशों में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का वर्णन किया और लोगों को धर्म और नैतिकता का पालन करने की सलाह दी।
- अशोक चिह्न: सारनाथ स्तंभ के शेरों को 1950 में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया। यह शेर साम्राज्य, शांति, और अहिंसा का प्रतीक है।
अशोक स्तंभ न केवल भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, बल्कि यह मानवता, धर्म, और नैतिकता का भी प्रतीक है। यह स्तंभ मौर्य सम्राट अशोक के जीवन और उनके धार्मिक और नैतिक परिवर्तन की कहानी को दर्शाते हैं। अशोक स्तंभों की स्थापत्य कला और शिल्पकला अद्वितीय है और यह भारतीय संस्कृति और धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।